आयुर्वेद डाक्टर भी लिख सकेंगे अंग्रेजी दवा 

कोरबा। शासन ने अब आयुर्वेद व यूनानी पद्धती से मरीजों का इलाज करने वाले चिकित्सकों को एलोपैथी दावाओं के इस्तेमाल की सशर्त अनुमति दे दी है। इससे एक ओर जहां आयुष चिकित्सक खुश हंै, वहीं दूसरी ओर एलोपैथी चिकित्सकों से नाराजगी पैदा हो गई है। शासन के जारी आदेश में कहा गया था कि आयुर्वेद, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी अधिनियम 1970 में पंजीकृत चिकित्सकों को एलोपैथिक मेडिसिन से उपचार के लिए प्रशिक्षण प्राप्त की सीमा तक पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी के रूप में घोषित किया जाता है। इसके चलते अब आयुष श्रेणी के चिकित्सक भी एलोपैथी की दवाओं से मरीजों का इलाज कर सकेंगे। आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा किस दवा का उपयोग किया जाना है, इसकी सूची भी जारी की गई है। इसमें रोग व दवा दोनो का उल्लेख है, जिसके कारण आयुर्वेद चिकित्सक एक निश्चित सीमा तक ही एलोपैथी दवाओं का उपयोग कर सकेंगे। उधर, आईएमए के सदस्य डॉ. विशाल उपाध्याय का कहना है कि आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सकों को एलोपैथी दवा लिखने का अधिकार देने के बजाए सरकार को मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ानी चाहिए। सरकार की दोतरफा पॉलिसी समझ के परे है। एलोपैथ दवाओं के विषय में आयुर्वेद चिकित्सकों को बेहद कम जानकारी होती है, इसलिए यह कई मामलों में नुकसानदायक भी सिद्ध हो सकता है।

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