किडनी ट्रांसप्लांट ठप

नई दिल्ली। इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एंड बिलियरी साइंसेज (आईएलबीएस) अस्पताल में सीनियर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. विकास जैन और नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. सुमनलता के इस्तीफे के बाद से किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट ठप हो चली है। हालांकि, बाकी स्टाफ अभी काम कर रहे हैं। ज्ञातव्य है कि दिल्ली सरकार के तहत आने वाला यह एकमात्र अस्पताल है, जहां मरीजों के लिए किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा मौजूद थी। इस अस्पताल के अलावा किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा राजधानी में एम्स, सफदरजंग और आरएमएल जैसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयों के अधीन अस्पतालों में है।

दिल्ली सरकार ने इसी साल कैबिनेट में डॉक्टरों की इस परिस्थिति से निपटने के लिए पीपीपी मॉडल पर काम की योजना तैयार की थी। इसके अनुसार डाक्टरों को सैलरी के अलावा उनके काम के अनुसार हर महीने इन्सेंटिव देना भी तय किया गया था। लेकिन यह योजना अब तक किसी अस्पताल में लागू नहीं की गई है। अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट के ठप होने का मुख्य कारण डॉक्टरों का कम वेतन है। जिन दो डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया है, उन्होंने निजी अस्पताल से दोगुना ऑफर मिला है। उधर, हेल्थ एवं फैमिली वेलफेयर के डीजीएचएस डॉ. कीर्ति भूषण का कहना है कि आईएलबीएस अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. एसके सरीन का भी कार्यकाल खत्म हो चुका है। अब नए डायरेक्टर और किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट के लिए नई टीम का चयन होना है। आईएलबीएस में हर साल औसतन 200 किडनी ट्रांसप्लांट होते थे। महीने में औसतन यही संख्या 18 थी। दिल्ली से सटे राज्यों से आने वाले मरीजों की संख्या यहां सबसे अधिक थी।

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