चितपूर्णी। बढ़ती बिमारियों के साथ -साथ आम आदमी को सस्ती दर पर दवा उपलब्ध कराने के लगातार प्रयास किए जा रहें है। जिसको लेकर जन औषधि केंद्र भी खोले गए। जन औषधि केंद्र पर बाजार दर की अपेक्षा 50 से 90 फीसद सस्ती दवा मिल रही हैं। बड़ी बात यह भी है कि बाजार में उपलब्ध 95 प्रतिशत दवाओं की रेंज भी यहां मौजूद है। जिन महंगी दवाओं के अभाव में गरीब इलाज की आस ही छोड़ चुके होते थे, उन्हें कैप्टन संजय मुफ्त में उपलब्ध करवा रहे हैैं। परागपुर के आसपास के गांवों में दवाओं की फ्री होम डिलीवरी की सुविधा भी शुरू की जा चुकी है। इसी बीच कैप्टन संजय द्वारा जसवां-परागपुर क्षेत्र के परागपुर में खोला गया जन औषधि केंद्र इसलिए भी गरीबों के लिए संजीवनी साबित हो रहा है क्योंकि यहां अब रक्तचाप और मधुमेह दवाएं निश्शुल्क उपलब्ध करवाई जा रही हैं। इस केन्द्र में गरीब परिवारों के मरीजों को पराशर हर माह हजारों रुपये की दवाएं मुफ्त में उपलब्ध करवा रहे हैं। वैसे भी इस केंद्र पर लोगों को आसानी से बेहद सस्ती दर पर गंभीर बीमारियों से बचाव की सभी दवाएं मिल जा रही हैं।

वहीं, कैप्टन संजय ने बताया कि प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र खोलेन का मुख्य उद्देश्य सरकार ने यही रखा है कि समाज के हर वर्ग के लोगों को समय पर उपचार मिल सके। गरीब मरीजों को सुलभता से उपचार के लिए दवाएं मिल सकें। जनऔषधि केन्द्र में कई ऐसे मरीज भी आए, जो सभी दवाएं खरीदने में असमर्थ थे, ऐसे में केन्द्र के स्टाफ को निर्देश दिया गया है कि अगर किसी गरीब व्यक्ति के पास दवाएं खरीदने के पैसे नहीं हैं तो उसे मना न किया जाए और चिकित्सक की पर्ची के अनुसार दवाएं दी जाएं। अभी हाल ही में उन्होंने गरली अस्पताल में दवाओं की एक खेप भेजी है।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में पराशर कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। औषधि केंद्र में भी कई मरीजों को दवाएं मुफ्त में दी गई हैं। मूंही गांव के सोनू व संजीव कुमार, उझे खास से कंचन, सलेटी से राकेश, सेहरी की शिवानी और रक्कड़ से सुरेश ने बताया कि परागपुर का प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र गरीब मरीजों के लिए एक का प्रकार उपहार है। जिन दवाओं के अभाव लोग बीमारी के साथ जीने को विवश थे, अब बेहद सस्ते दाम पर मिल रही हैं। इसके बावजूद वे आर्थिक कारणों से कुछ दवाएं खरीद नहीं पा रहे थे तो कैप्टन संजय से संपर्क करने के बाद उन्हें दवाएं बिना कोई दाम चुकाए ही मिल गईं। उन्होंने पकहा कि संजय के कारण उन्हें गंभीर बीमारी वाली जीवन रक्षक दवाएं भी मिल रही हैं, नहीं तो स्वास्थ्य से समझौता करने के अलावा कोई चारा नहीं था। उन्होंने पराशर को गरीबों का सच्चा साथी बताया।