मद्रास। ऑनलाइन फार्मेसी कंपनियों के पक्ष में मद्रास उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट के इस फैसले से ई-फार्मा कंपनियों को अपने कारोबार के लिए निश्चितता मिल सकेगी। उद्योगपतियों का कहना है कि वे अब नियामक व्यवस्था के संबंध में केंद्र सरकार के साथ चर्चा के इंतजार में हैं।
यह है मामला
मद्रास उच्च न्यायालय ने एक न्यायाधीश वाले पीठ के आदेश को रद कर दिया है, जिसमें उनसे दवाओं का डिजिटल व्यापार रोकने के लिए कहा गया था।
एक ऑनलाइन फार्मेसी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पहले कुछ अनिश्चितता थी। अब मसौदा नियमों के जारी होने और अब मद्रास उच्च न्यायालय के अनुकूल आदेश की वजह से उद्योग को वैधता मिल गई है। इसकी उन्हें सख्त जरूरत थी। संभव है कि अब ई-फार्मेसियों को काम करने से रोका नहीं जाएगा।
अधिकारियों का कहना है कि अगला कदम केंद्र सरकार को उठाना है और इस क्षेत्र की निगरानी के लिए उचित नियामकीय व्यवस्था बनानी है। ई-कॉमर्स के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि इससे ई-फार्मेसी कंपनियों को सुचारू रूप से काम करने का काफी भरोसा मिलने वाला है।
अधिकारी ने बताया कि ई फार्मा कपंनियां अब भी असमंजस की स्थिति में कार्यरत हैं। इसके लिए एक व्यापक ई-फार्मेसी नीति की जरूरत है। ई-फार्मेसियों को कई कानूनों का पालन करना पड़ता है। साथ ही ऑफलाइन फार्मासिस्टों का दबाव भी बना रहता है। इसके लिए को-ऑप्ट मॉडल की जरूरत है, जहां ई-फार्मा कंपनियां ऑफलाइन स्टोरों के साथ मिलकर काम करें और ग्राहकों को दवाइयां पहुचाएं।
ऑनलाइन फार्मेसियों ने आदेश के खिलाफ की थी अपील
मद्रास उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश वाले पीठ ने दिसंबर 2018 में फैसला सुनाया था कि ई-फार्मेसियों को दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों में अपना ऑनलाइन कारोबार बंद करना होगा। जब तक केंद्र सरकार दवाओं के डिजिटल व्यापार के लिए उचित नियामकीय व्यवस्था नहीं बना लेती, तब तक ये नियम लागू रहेगा। उस समय ऑनलाइन फार्मेसियों ने इस आदेश के खिलाफ अपील की थी। उसी साल स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने ई-फार्मेसी कंपनियों के लिए दिशा-निर्देशों के साथ एक मसौदा अधिसूचना जारी की थी।