प्रयागराज। जरूरतमंदों को बाटी जाने वालीं दवाओं का दुरपयोग हो रहा है। बता दें कि इन दवाओं को या तो जलाया जा रहा है या फिर जमीन में दबाई जा रहीं है। दरअसल एक और मामला सामने आया है। तेलियरगंज स्थित मुख्य चिकित्साधिकारी के केंद्रीय औषधि भंडार (सीएमएसडी) में जरूरतमंदों को बांटने के लिए आयी दवाएं गड्ढा खोद कर पाट दी गईं। सीएमएसडी के नोडल अधिकारी डा. आरएस ठाकुर से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि जमीन में कूड़ा करकट डालकर पाटा गया है दवाएं नहीं।
वहीं दवा भंडार के चीफ फार्मासिस्ट एसके सिंह से इस बारे में सवाल करते ही उनके चेहरे की हवाइयां उड़ गईं। उन्होंने दूसरे फार्मासिस्ट की ओर इशारा करते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया। सीएमओ डा. नानक सरन ने बताया कि दवा को इस तरह से नष्ट करना गलत है। इसके लिए शासन को जानकारी देनी होती है और शासन की अनुमति से ही दवाएं नष्ट की जाती हैं। दिखवाते हैं कि दवाओं को इस तरह से नष्ट करने के पीछे मकसद क्या है।
जबकि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लोग विभिन्न सामान्य बीमारियों की दवाएं मेडिकल स्टोर से खरीदने को मजबूर रहे। इस कारनामे की भनक नए सीएमओ समेत जिले के अन्य उच्चाधिकारियों को नहीं है। जबकि अपर मुख्य चिकित्साधिकारी और सीएमएसडी के नोडल अधिकारी ने इस कारनामे से आंखें फेर ली हैं। दवाएं इस तरह से नष्ट करना शासनादेश की अनदेखी भी है।
केंद्रीय औषधि भंडार शहर के अंतिम छोर पर फाफामऊ पुल के शुरुआती स्थल के समीप स्थित है। इसी के ठीक बगल में मंडलीय केंद्रीय औषधि भंडार भी है जो सहायक निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, के अधीन है। सीएमओ के औषधि भंडार में व्यापक मात्रा में दवाएं स्टोर रहती हैं, यहीं से सभी सरकारी अस्पतालों में सप्लाई होती है। जो दवाएं बंटने की निर्धारित अवधि के बाद बच जाती हैं उन्हें नष्ट करने के लिए शासन से अनुमति लेनी होती है।
जबकि जुलाई माह के अंतिम सप्ताह में स्टोर से दवाएं निकालकर बगल में ही खाली पड़ी कच्ची जमीन खोद कर दबा दी गई। यह कारस्तानी दवा स्टोर परिसर की बाउंड्री वाल के भीतर हुई जिससे कि बात बाहर न जा सके। चश्मदीदों के अनुसार दर्जनों पेटी दवाएं जमीन में दफनाई गईं हैं जिससे गरीब जरूरतमंदों के अधिकार कुचले गए और शासन की आंख में भी धूल झोंकी गई।