तेलंगाना। दवा निर्माता के खिलाफ केस दर्ज किए जाने का मामला सामने आया है। औषधि नियंत्रण प्रशासन (डीसीए) ने दवा मूल्य नियंत्रण आदेश (DPCO) का उल्लंघन करने पर आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत हिमाचल प्रदेश स्थित दवा निर्माता पर यह केस दर्ज किया है।
यह है मामला
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इस मामले में मार्केटिंग कंपनी की भूमिका भी सामने आई है और वह भी भ्रष्टाचार और अनैतिक व्यापार व्यवहार के लिए उत्तरदायी है। बताया गया है कि दवा विनिर्माण कंपनी एक कैंसर-रोधी दवा की कीमत अधिक कर रही थी। इसकी कीमत राष्ट्रीय दवा मूल्य नियामक द्वारा तय की गई थी।
पिछले सप्ताह डीसीए के अधिकारियों द्वारा की गई छापेमारी में करीमनगर जिले में एक मेडिकल दुकान से डाकाज़ी 500 इंजेक्शन (डकारबाजऩि इंजेक्शन आईपी 500 मिलीग्राम) दवा जब्त की गई थी। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने इसकी कीमत रुपये तय की है।
एक इंजेक्शन के लिए 518.79 रुपये (अधिकतम कीमत) है इसलिए 12 प्रतिशत जीएसटी सहित अधिकतम खुदरा मूल्य रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। एक शीशी के लिए 581 रुपये मूल्य तय है लेकिन लेबल पर दवा की एमआरपी 20 प्रतिशत ज्यादा अंकित पाई गई। इस तरह एक शीशी की कीमत 1,250 रुपये है। विभाग के अनुसार यह डीपीसीओ, 2013 का उल्लंघन है।
डीसीए तेलंगाना के महानिदेशक के अनुसार, डैकाज़ी 500 इंजेक्शन नामक दवा का निर्माण हिमाचल प्रदेश में ज़ी लैबोरेटरीज लिमिटेड में किया गया था। अधिकारी ने कहा कि डैकाज़ी 500 इंजेक्शन का उपयोग लिम्फ प्रणाली के कैंसर (हॉजकिन रोग) और घातक मेलेनोमा (एक प्रकार का त्वचा कैंसर) के इलाज के लिए किया जाता है। फर्म को अधिक रुपये वसूलते हुए पाया गया। 668.95, जो केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अधिकतम कीमत से दोगुने से भी अधिक है।
टीम में ये रहे शामिल
छापेमारी टीम के अधिकारियों में एम श्रीनिवासुलु, सहायक निदेशक, करीमनगर और पी कार्तिक भारद्वाज, ड्रग्स इंस्पेक्टर, करीमनगर शामिल रहे। अताया गया है कि मामले में जांच की जा रही है और सभी अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।