नई दिल्ली। पतंजलि के एलोपैथिक दवा को लेकर दिए गए बयानों की आयुष मंत्रालय ने निंदा की है। मंत्रालय ने कहा कि महामारी के दौरान पतंजलि को कोरोना वायरस के इलाज के रूप में पेश करने के प्रति आगाह किया गया था। आयुष प्रणाली या एलोपैथिक चिकित्सा की सेवाओं का लाभ उठाना किसी व्यक्ति या स्वास्थ्य सेवा चाहने वाले की पसंद पर निर्भर करता है।
भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद आयुष मंत्रालय ने एलोपैथिक दवाओं को लेकर पतंजलि के बयानों की निंदा की है। केंद्र सरकार ने एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की पैरवी करते हुए कहा है कि लोगों के पास आयुष या एलोपैथिक दवाओं का लाभ उठाने का भी विकल्प है।
कोरोना काल में महामारी के दौरान पतंजलि की दवा कोरोनिल को वायरस के इलाज के रूप में पेश करने के प्रति आगाह किया गया था। कहा गया था कि जब तक आयुष मंत्रालय इसकी विधिवत जांच रिपोर्ट नहीं दे देता, तब तक इसको प्रचारित नहीं किया जाना चाहिए।
पतंजलि को दवा का जरूरी परीक्षण करने के लिए कहा था
मंत्रालय ने पतंजलि को दवा का जरूरी परीक्षण करने के लिए कहा था। वहीं, आयुष मंत्रालय ने चिकित्सा की विभिन्न प्रणालियों के बीच आपसी सम्मान के महत्व पर भी प्रकाश डाला है। कहा गया कि आयुष प्रणाली या एलोपैथिक चिकित्सा की सेवाओं का लाभ उठाना किसी व्यक्ति या स्वास्थ्य सेवा चाहने वाले की पसंद है।
कोरोनिल के संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय को कई शिकायतें मिलीं। इसके बाद पतंजलि को नोटिस जारी किया गया। कंपनी से अनुरोध किया गया था कि जब तक मंत्रालय द्वारा मामले की पूरी तरह से जांच नहीं कर ली जाती, तब तक वह कोरोनिल दवा की प्रभावकारिता के बारे में विज्ञापन से दवा न कर।
कोर्ट में पेश होंगे बाबा रामदेव और बालकृष्ण
आज सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से पहले पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव ने हलफनामा दायर कर बिना शर्त माफी मांग ली है। माफीनामे में रामदेव और बालकृष्ण ने कहा है कि वे आदेश का पूरी तरह से पालन करेंगे। साथ ही न्याय की गरिमा को भी बरकरार रखेंगे। पतंजलि ने भ्रामक विज्ञापन के संबंध में जवाब दाखिल किया है। रामदेव और आचार्य बालकृष्ण कारण बताओ नोटिस के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होंगे।