हैदराबाद। पूर्व फार्मेसी काउंसिल रजिस्ट्रार जी रामधन के खिलाफ अयोग्य उम्मीदवारों को फार्मेसी पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करने के आरोप का मामला सामने आया है।
यह है मामला
कई छात्रों का आरोप है कि तेलंगाना के पूर्व रजिस्ट्रार ने शैक्षणिक वर्ष 2021-2022 में उन लोगों को भी पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए, जो फार्मेसी के दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में फेल हो गए थे। ऐसे ही एक मामले में, डिप्लोमा के भाग 2 के एक विषय में फेल होने वाले व्यक्ति को वर्ष 2022 में परिषद द्वारा पंजीकृत फार्मासिस्ट का प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ।
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के राजपत्र विनियमन में जारी फार्मेसी में डिप्लोमा कोर्स के लिए शिक्षा विनियम, 2020 के अध्याय 1 के अनुसार फार्मासिस्ट के रूप में पंजीकरण के लिए न्यूनतम योग्यता फार्मेसी में डिप्लोमा में उत्तीर्ण और फार्मेसी में डिप्लोमा का संतोषजनक समापन होगा।
इसके अलावा, अध्याय 2 में कहा गया है कि परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए न्यूनतम मानदंड सिद्धांत और व्यावहारिक परीक्षा में प्रत्येक विषय में कम से कम 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करना है, जिसमें दो वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम के लिए सत्र के अंक भी शामिल हैं।
अयोग्य छात्रों को दे दिए प्रमाण पत्र
पाठ्यक्रम के लिए फार्मेसी अधिनियम, 1948 की धारा 10 के तहत ये नियम बनाए गए थे। हालांकि, पंजीकरण प्रमाण पत्र उन उम्मीदवारों को जारी किए गए जो कुछ विषयों में असफल रहे थे और इसलिए फार्मासिस्ट के रूप में पंजीकृत होने के लिए अयोग्य थे।
परिषद के पूर्व अध्यक्ष ए संजय रेड्डी के अनुसार परीक्षा में असफल होने वाले उम्मीदवारों को प्रमाण पत्र जारी करना फार्मेसी अधिनियम, 1948 का उल्लंघन है। परीक्षा में असफल होने वाले सैकड़ों छात्रों को पूर्व रजिस्ट्रार के तहत पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। हमने सरकार से इन प्रमाण पत्रों को जारी करने में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
गौरतलब है कि अधिकारी वर्तमान में ड्रग कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन (डीसीए) के उप निदेशक हैं। संबंधित अधिकारी ने इस बारे में कहा कि उन्होंने पंजीकरण प्रमाणपत्रों पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन उन्हें उन परिस्थितियों की पूरी जानकारी नहीं है जिनके तहत दस्तावेजों को उनके द्वारा अनुमोदित किया गया था।