बाड़मेर (राजस्थान)। सरकारी अस्पताल में ड्यूटी के बजाए दो डॉक्टरों को निजी क्लीनिक पर इलाज करते हुए पकड़ा गया है। जिला कलेक्टर ने सरकारी अस्पताल के उन डॉक्टर्स के घरों पर रेड मारी, जो ड्यूटी टाइम में अपने घरों में मरीजों को देख रहे थे।
यह है मामला
शिकायत मिल रही थी कि डॉक्टर्स ड्यूटी टाइम में अपने क्लीनिक चला रहे हैं। इसके बाद एक टीम बनाकर छापेमारी की गई। जिला कलेक्टर टीना डाबी ने अधिकारियों की तीन अलग-अलग टीमें बनाकर सरकारी चिकित्सकों के खिलाफ छापेमारी की। इस दौरान जिला कलेक्टर ने दो सरकारी डॉक्टर्स को पकड़ा, जो ड्यूटी टाइम में प्राइवेट क्लीनिक में मरीजों को देख रहे थे। टीम के आने की भनक लगते ही कई डॉक्टर्स प्राइवेट क्लीनिक छोडक़र फरार हो गए।
निजी क्लीनिक पर मरीज देख रहे थे सरकारी डॉक्टर
जिला कलेक्टर टीना डाबी ने शहर के नेहरू नगर स्थित एक प्राइवेट क्लिनिक पर दबिश दी। यहां डॉ. रमेश कटारिया अपने क्लीनिक में मरीजों को देख रहे थे, जबकि उनकी ड्यूटी बाड़मेर के मेडिकल कॉलेज में थी। वहीं मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में आवास में रहने वाले शिशु रोग विशेषज्ञ महेंद्र चौधरी के घर पर पहुंची। वहां डॉ. महेंद्र चौधरी ने अपने आवास को ही क्लीनिक बना रखा था। डॉ. महेंद्र चौधरी ने सपुाई दी कि उनकी ड्यूटी जेल में हैं और मैं वहां से लौटने के बाद यहां आया हूं।
निरीक्षण के बाद जिला कलेक्टर टीना डाबी सीधे अस्पताल के निरीक्षण के लिए पहुंची। वहां उन्होंने डॉक्टर्स की अटेंडेंस का रजिस्टर जब्त किया। जिला कलेक्टर ने डॉ. रमेश कटारिया और डॉ.महेंद्र चौधरी के खिलाफ जांच के निर्देश दिए हैं। पूरे मामले में पीएमओ डॉ. बीएल मंसूरिया की भूमिका भी संदिग्ध मिली, क्योंकि अटेंडेंस रजिस्टर के कई कॉलम खाली थे।