जयपुर। सरकारी हॉस्पिटल के गेट पर गर्भवती महिला की डिलीवरी होने के मामले में तीन रेजिडेंट डॉक्टरों को सस्पेंड किया गया है। वहीं, मामले में लापरवाही के लिए जिम्मेदार अस्पताल अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
यह है मामला
जयपुर के शास्त्रीनगर स्थित हरिबक्श कांवटिया राजकीय अस्पताल में बुधवार को अशोक वर्मा अपनी गर्भवती पत्नी नीलम को भर्ती कराने पहुंचे। काफी देर तक अस्पताल में कोई इलाज नहीं होने से नीलम की तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया लेकिन अस्पताल मैनेजमेंट ने दूसरे हॉस्पिटल ले जाने के लिए एंबुलेंस देने की औपचारिक परमिशन नहीं दी, जबकि एंबुलेंस अस्पताल कैंपस में ही मौजूद थी। ऐसे में परिवार वालों ने हंगामा कर दिया।
अस्पताल के गेट पर हो गई डिलीवरी
मामला बिगड़ता देख एंबुलेंस ड्राइवर वहां से भागने लगा। लेकिन इतने में अस्पताल के गेट पर ही बच्चे की डिलीवरी हो गई। नीलम के परिजनों ने अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जन्म के बाद नवजात पर एंबुलेंस चढ़ाने की भी कोशिश हुई, लेकिन मामला बिगड़ने पर नीलम को उसके बच्चे के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया।
तीन रेजीडेंट डॉक्टर सस्पेंड किए
मामला संज्ञान में आने के बाद अस्पताल के तीन डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया गया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव (चिकित्सा शिक्षा) शुभ्रा सिंह ने बताया कि यह मामला सामने आने पर चिकित्सा-शिक्षा विभाग ने तत्काल प्रभाव से जांच समिति गठित की थी।
समिति की रिपोर्ट के अनुसार रेजीडेंट मेडिकल डॉ. कुसुम सैनी, डॉ. नेहा राजावत और डॉ. मनोज की गंभीर लापरवाही और संवेदनहीनता सामने आई है। वहीं, पर्यवेक्षणीय लापरवाही के लिए अस्पताल अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र सिंह तंवर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। शुभ्रा सिंह ने कहा कि मानवीयता से जुड़े चिकित्सकीय पेशे में ऐसे असंवेदनशील व्यवहार की अपेक्षा नहीं की जा सकती है।