ट्रैकिंग सिस्टम से जुड़ेंगे अल्ट्रासाउंड सेंटर, खर्चा फिफ्टी-फिफ्टी

  • प्रदेश के लिंग अनुपात में सुधार लाने की कवायद

  • ऊना, कांगड़ा और हमीरपुर जिलों में चलेगा पायलट प्रोजेक्ट
शिमला: लिंग अनुपात में सुधार लाने के उद्देश्य से राज्य के सभी सरकारी और निजी अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों को ट्रैकर सिस्टम से जोडऩे का निर्णय लिया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कम लिंग अनुपात वाले तीन जिलों को इससे जोड़ा जाएगा। पहले चरण में ऊना, कांगड़ा और हमीरपुर जिलों का चयन किया गया है। जल्द ही यह योजना अन्य जिलों में भी लागू होगी। इन जिलों में जितने भी सरकारी और प्राइवेट अल्ट्रासाउंड सेंटर और क्लीनिक हैं, वे इस सिस्टम से जोड़े जाएंगे। इसके बाद किसी भी महिला का अल्ट्रासाउंड होने से पहले ही उसकी जानकारी निरीक्षण समिति और संबंधित अधिकारी को पहुंच जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री कौलसिंह ठाकुर ने बताया कि अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर लगाए जाने वाले ट्रैकिंग सिस्टम पर करीब 35 हजार रुपए खर्च होंगे। इसके लिए 50 फीसदी राशि प्राइवेट क्लीनिक संचालक को देनी होगी, जबकि 50 फीसदी राशि राज्य सरकार वहन करेगी।
अल्ट्रा सोनोग्राफी (अल्ट्रासाउंड) के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने के लिए आशा वर्कर्स भी प्रॉपर मॉनिटरिंग करेंगी। गर्भवती महिला कब-कब चैकिंग के लिए गई और कब उसकी डिलिवरी हुई, इन सब पहलुओं पर निगरानी रखेंगी।
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