बच्चों के लीवर पर अटैक कर रहा फास्टफूड

कामकाज के लिए मां-बाप घर से बाहर,  बच्चों का बिगड़ रहा आहार
रोहतक: फास्टफूड के शौकीन बच्चों का लीवर कमजोर होने के मामले सामने आए हैं। इसका अधिक सेवन मोटापे को भी बढ़ा रहा है। साइंस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 35 फीसदी बच्चों में जरूरत से अधिक फैट है। माता-पिता के कामकाजी होने से बच्चे फास्टफूड पर निर्भर होते जा रहे है। अधिकतर महिलाएं शिक्षा क्षेत्र में नौकरी में हैं। स्कूलों का समय अन्य दफ्तरों की अपेक्षा पहले होने के कारण महिलाएं सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना तैयार नहीं कर पाती, जिस कारण बच्चों को माता-पिता की ओर से दिए पैसों से फास्टफूड पर निर्भर रहना पड़ता है। फैट कैलोरी वाले खाद्य वस्तुओं का अधिक सेवन करने पर तत्व लीवर के कोषों में एकत्र होते जाते हैं और बच्चों के लीवर पर चर्बी चढ़ जाती है। धीरे-धीरे लीवर की क्षमता कम हो जाती है। शारीरिक व्यायाम करने पर फैट कैलोरी हजम हो जाती है, परंतु ऐसा करने पर यह तेजी से लीवर के कोषों में जम जाता है, जिसके परिणामस्वरूप लीवर में सूजन और रंग पीला होना है। अध्ययन से पता चला है कि स्कूल स्तर के अधिकतर बच्चे फास्टफूड का सेवन करते हैं। इसके अतिरिक्त बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ौतरी करने वाले खाद्य पदार्थों के सेवन की आदत कम होती जा रही है। इससे बड़ी संख्या में बच्चों का लीवर प्रभावित हो रहा हैै। इस समय पूरा विश्व इस गंभीर समस्या से जूझ रहा है। खाने-पीने, जीवन शैली में जो बदलाव आए है, उससे लोगों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फास्टफूड को साइलेंट किलर का नाम दिया है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। अध्ययन के मुताबिक फैटी लीवर के मरीज खासतौर पर बच्चों की संख्या निरंतर अधिक बढ़ रही है। लोग इसके प्रभावी नतीजों से अनजान हैं, इसलिए इसके प्रति लोगों को सचेत होने की जरूरत है ताकि समय रहते खुद को और अपने बच्चों को इस समस्या के गंभीर परिणामों से बचाया जा सके।
बच्चों को दें दूध और सब्जियां
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश खोसला के अनुसार यह सच है कि फास्टफूड के सेवन से हमारे शरीर में चर्बी जमा हो जाती है, जो लीवर और दिमाग को प्रभावित करती है। इसके अलावा फास्टफूड, तली-भुनी चीजों से जितना हो सके परहेज करना चाहिए। माता-पिता को चाहिए कि बच्चों को हरी सब्जियां, दूध और फल ही दें।
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