स्वास्थ्य विभाग के एक्शन से केमिस्टों में ‘कहीं खुशी, कहीं गम’

पटना: मैनुअल प्रक्रिया के चलते अकसर ड्रग विभाग और दवा दुकानदारों के बीच काम-काजी रिश्तों में दिक्कतें आती थी। लाइसेंस जारी करने और नवीनीकरण को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते थे, लेकिन अब इन सब परेशानियों से मुक्ति मिलेगी, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग ने दवा व्यापार में पारदर्शिता लाने के लिए ड्रग लाइसेंस प्रक्रिया को ऑनलाइन करने के निर्देश दिए हैं। दवा दुकानदार एवं फार्मासिस्टों को लाइसेंस मिलने में अनियमितता दूर करने एवं सरकारी कर्मचारियों द्वारा अवैध वसूली रोकने के लिए सरकार ने यह ठोस निर्णय लिया है। स्वास्थ्य विभाग ने दवा निर्माण बिक्री एवं भंडारण के लिए भी नए लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दी है। ड्रग लाइसेंस आवेदन करने से लेकर उसे जारी करने तक की पूरी प्रक्रिया अब ऑनलाइन होगी। स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी अंजनी कुमार सिन्हा ने राज्य के औषधि नियंत्रक रविंद्र कुमार सिन्हा को नए लाइसेंस जारी करने पर रोक संबंधी आदेश भी जारी कर दिए हैं। साथ ही विभाग ने निर्देश दिए है कि फार्मासिस्टों का वेतन उनके बैंक अकाउंट से ही दिया जाए। स्वास्थ्य विभाग ने हर दवा दुकानदार को फार्मासिस्ट रखने की अनिवार्यता पर भी स्थिति स्पष्ट की है। फार्मासिस्ट की उपस्थिति और बैंक खाते में उसका वेतन भेजे जाने का पूरा रिकॉर्ड औषधि नियंत्रण विभाग को उपलब्ध करवाना जरूरी है, अन्यथा कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
केमिस्टों में जहां ड्रग लाइसेंस प्रक्रिया ऑनलाइन के फैसले से खुशी है तो वहीं फार्मासिस्ट की अनिवार्यता और बैंक खाते में वेतन देने के आदेश को लेकर टेंशन हो गया है। बता दें कि राज्य में 40,000 दवा दुकानें हैं लेकिन फार्मासिस्टों की संख्या मात्र 25000 है। ऐसे में अनुभव के आधार पर दवा दुकान चलाने वालों पर खतरे की घंटी कभी भी बज सकती है।
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