लाखों के दवा घोटाले में सिविल सर्जन निलंबित

नरसिंहपुर। जिला अस्पताल में लाखों के दवा घोटाले में सिविल सर्जन पद से हटाए गए डॉ. विजय मिश्रा को निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में डॉ. मिश्रा का मुख्यालय क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवायें जबलपुर संभाग का कार्यालय रहेगा। डॉ. विजय मिश्रा को सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के प्रावधानों के विपरीत कदाचरण की श्रेणी में मानते हुए यह आदेश जारी किया गया है। यह कार्रवाई कलेक्टर दीपक सक्सेना के प्रतिवेदन के आधार पर संभाग आयुक्त राजेश बहुगुणा ने की है।
उल्लेखनीय है कि कलेक्टर ने जिला चिकित्सालय नरसिंहपुर के औषधि भंडार गृह से लाखों की दवाइयां गायब होने की जांच के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत के नेतृत्व में दल गठित किया था। जांच में जिला चिकित्सालय नरसिंहपुर के औषधि भंडार में प्रथम दृष्टया गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। डॉ. मिश्रा ने जांच में कोई सहयोग नहीं किया था। जांच में पाया गया कि दवाइयों के स्टाक में अनियमितता की शिकायत मिलने पर भी डॉ. मिश्रा द्वारा अपने स्तर पर कोई जांच नहीं कराई गई थी। यह जांच पूरी होने के बाद भोपाल से जांच के लिए दल आने से पहले रात में दवा स्टोर के रिकार्ड और कुछ दवाओं में आग लगाकर सबूत नष्ट करने का प्रयास किया गया था, जिसकी अलग से जांच की गई थी। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर अस्पताल में दवाइयों के स्टाक में अनियमितता में संलिप्तता के आरोप में कमिश्नर ने डॉ. मिश्रा को निलंबित किया है।
जानकारी के अनुसार पिछले तीन सालों में करीब 55 लाख का दवा घोटाला किया गया है। जिसमें कई लोग शामिल हैं। कलेक्टर ने अपने स्तर पर जांच कराने के साथ ही शासन को पत्र लिखकर जांच का आग्रह किया था। जिस पर भोपाल से आए एक दल ने अलग से जांच कर अपनी रिपोर्ट विभाग के संचालक को दे दी है। इस रिपोर्ट पर विभागीय स्तर पर अलग से कार्रवाई की प्रतीक्षा की जा रही है। भोपाल से आए जांच दल को स्टोर में गंभीर अनियमितताएं मिली हैं और मंडला, जबलपुर, नरसिंहपुर के कुछ दवा विक्रेताओं की मिलीभगत सामने आई है। बताया गया है बिना दवा मंगाए ही लाखों के बिल पास किए गए हैं। कई महंगी दवाओं की कागजों में सप्लाई दिखा कर दवा विक्रेताओं को भुगतान कर दिया गया तो कई दवाएं बाहर से यहां आने के बाद दवा विक्रेताओं को बेच दी गईं। इस दवा घोटाले में कलेक्टर ने फार्मासिस्ट अमित तिवारी और स्टोर प्रभारी राजकुमार शिववेदी को पहले ही निलंबित कर दिया था, जबकि डॉ. विजय मिश्रा को सिविल सर्जन पद से हटा दिया था।
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