गौमूत्र से दूर होगा ब्रेस्ट कैंसर

एनसीआर में कैंसर के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। एम्स की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं में स्तन कैंसर के मामलों में एक साल में ही दो प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। एम्स के कैंसर रजिस्ट्री केंद्र ने दिल्ली-एनसीआर की जनसंख्या आधारित कैंसर पंजीकरण रिपोर्ट जारी की है। इसमें अकेले वर्ष 2011-12 में दिल्ली एनसीआर में कैंसर के 17176 नए मरीज बढ़े। साल 2011 में एक लाख महिलाओं पर 32.6 फीसदी को स्तन कैंसर था, जबकि वर्ष 2012 में यह प्रतिशत बढ़कर 34.8 हो गया। आंकड़े दिल्ली के 167 सरकारी अस्पतालों, 250 क्लीनिकों और लैबोरेट्री से जुटाए गए हैं। एम्स के कैंसर रजिस्ट्री केंद्र द्वारा जारी वर्ष 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, नए पंजीकृत कैंसर मरीजों में 52.4 फीसदी पुरुष और 47.6 प्रतिशत महिलाएं हैं।

संस्थान के रोटरी कैंसर विभाग के प्रमुख डॉ. जीके रथ ने बताया कि महिलाओं में स्तन कैंसर और पुरुषों में फेफड़े के कैंसर के मरीज सर्वाधिक हैं। स्वास्थ्य मंत्रलय, एम्स व भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की मदद से शुरू किए गए जनसंख्या आधारित कैंसर पंजीकरण कार्यक्रम के तहत कैंसर मरीजों की स्क्रीनिंग की गई। इसमें 3.9 फीसदी हिस्सेदारी बच्चों की थी। बच्चों में सबसे अधिक लिम्फोमा ल्यूकिमिया कैंसर देखा गया। डॉ. रथ ने बताया कि इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार कैंसर बचाव कार्यक्रम चलाएगी। रिपोर्ट में दिल्ली में ही एक साल से अधिक समय से रह रहे कैंसर के मरीजों को शामिल किया गया है।

केन्द्रीय औषधीय वनस्पति अनुसंधान परिषद और गो-विज्ञान अनुसंधान केन्द्र द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, गोमूत्र खून में मौजूद सफेद रक्त कणिकाओं के डीएनए को मजबूत करता है। आईसीएमआर वैज्ञानिक डॉ. नीता कुमार ने बताया, खून में लिफोसाइट्स या सफेद रक्त कणिकाओं के कमजोर पड़ने या टूटने के कारण सेल्स ज्यामितिय क्रम में बढ़ने लगती हैं। गोमूत्र की एंटीमाइक्रोबॉयल क्षमता सेल्स को मजबूत कर सफेद रक्त कणिकाओं के लिए रक्षा कचव तैयार करती है।

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