हाइकोर्ट ने डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर लगाम कसने के दिए निर्देश

रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार को रिम्स के डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस करने पर रोक लगाने और 10 जून तक मामले से संबंधित रिपोर्ट अदालत में पेश करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने झारखंड के हेल्थ सेक्रेटरी नितिन मदन कुलकर्णी, रिम्स के इंचार्ज निदेशक आरके श्रीवास्तव, रिम्स अधीक्षक विवेक कश्यप सहित अन्य डॉक्टर्स की अदालत में उपस्थिति के दौरान यह मौखिक टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने कहा कि रिम्स के डॉक्टर्स निजी प्रैक्टिस करते हैं। मात्र दो घंटे सेवा देने के बाद अपने निजी अस्पताल या क्लिनिक चले जाते हैं। रिम्स के इसी हालात की वजह से राजधानी में निजी नर्सिग होम्स की संख्या बढ़ गई है। ऐसे में धनी व्यक्ति तो निजी व महंगे अस्पतालों में इलाज करा लेता है, लेकिन गरीब तो रिम्स पर ही निर्भर हैं। अदालत ने कहा कि जान बचाना भगवान के हाथ में है, लेकिन बेहतर इलाज तो डॉक्टर कर ही सकते हैं। अदालत ने स्वास्थ्य सचिव से कहा कि निजी प्रैक्टिस के मामले में डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।
दरअसल, लातेहार की एक गैंगरेप विक्टिम महिला का बिना इलाज किए ही डिस्चार्ज किए जाने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही थी। इस पर अदालत ने स्वास्थ्य सचिव को मामले की जांच कराने का निर्देश दिया कि किन परिस्थितियों में पीडि़ता को बिना ठीक हुए ही रिम्स से डिस्चार्ज कर दिया गया। अदालत ने पीडि़ता के बेहतर इलाज की व्यवस्था करने का निर्देश देते हुए कहा कि अगर उसे रिम्स से बाहर इलाज की जरूरत पड़े तो सरकार इस पर तुरंत निर्णय ले। बता दें कि पीडि़ता लातेहार की रहने वाली है। फिलहाल उसका इलाज रिम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग में चल रहा है। सुनवाई के दौरान पीडि़ता की ओर से अदालत को बताया गया कि रिम्स के डॉक्टरों ने उसे यह कहते हुए डिस्चार्ज कर दिया कि वो ठीक हो गई है। जबकि डिस्चार्ज के समय उसकी पीठ में घाव (बेडसोर) था। लातेहार पहुंचने पर उसकी स्थिति खराब होने लगी। इसके बाद परिजनों ने लातेहार सदर अस्पताल में भर्ती कराया। जहां से फिर से उन्हें रिम्स रेफर कर दिया गया। अभी महिला की हालत बहुत नाजुक है। पीडि़ता कोमा में है। इसके बाद अदालत ने स्वास्थ्य सचिव व रिम्स निदेशक को तलब करते हुए मामले की सुनवाई निर्धारित की थी। बता दें कि इस संबंध में पीडि़ता के पति की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है, जिसमें पीडि़ता के बेहतर इलाज की गुहार लगाई गई है।
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