दवाओं के दाम राउंड फीगर के बहाने ज्यादा वसूल रहे दुकानदार

वाराणसी। मेडिकल स्टोर संचालक राउंड फीगर के बहाने दवाओं के दाम प्रिंट रेट से भी ज्यादा वसूल रहे हैं। इस गोलमाल से अनजान ग्राहक की जेब पर डाका डालकर दवा दुकानदार हर महीने लाखों की काली कमाई कर लेते हैं। दरअसल, 5, 10, 20, 25 और 50 पैसे के सिक्के चलन से बाहर हो चुके हैं। ऐसे में अगर आप किसी मेडिकल स्टोर से इलेक्ट्राल पावडर लेते हैं तो उस पर एमआरपी 19.33 रुपये प्रिंट होता है पर दुकानदार राउंड फीगर में 20 रुपये लेता है। 67 पैसे वापस नहीं करता। इस तरह से करीब-करीब हर दवा पर मेडिकल स्टोर एक्स्ट्रा कमाई की जा रही है। दवाओं के बाजार में 90 फीसदी दवाएं ऐसी ही हैं, जिनकी कीमत को राउंड फीगर में करने के बहाने मेडिकल स्टोर्स संचालक हर माह बड़ी कमाई कर रहे हैं। जिन वस्तुओं पर एमआरपी प्रिंट होता उसे लेने में लोग मोलभाव नहीं करते हैं। इसमें दवाएं भी शामिल हैं। दवा कंपनियां इसका फायदा उठाकर ऐसे रेट फिक्स करती हैं, जिसमें मूल्य राउंड फीगर में न हो ताकि दुकानदारों को सीधा फायदा हो। आलम ये है कि जो पैस चलन में है ही नहीं, उसे दवाओं की एमआरपी के साथ जोड़ दिया जाता है। 20.60 पैसे, 53.55 पैसे एमआरपी होने पर दुकानदार पूरी राशि की मांग करते हैं। ऐसे में आपको दवा के लिए भुगतान करना ही पड़ता है। औषधि विभाग का नियम हैं कि कोई भी मेडिकल स्टोर संचालक ग्राहकों से प्रिंट रेट से ज्यादा रकम नहीं ले सकता है। बावजूद इसके शहर के हर मेडिकल स्टोर पर यह नियम टूट चुका है। हर दुकान पर प्रिंट से ज्यादा दाम लिया जा रहा है। ओवर चार्जिग की शिकायत पर भी कोई एक्शन नहीं लिया जाता। इस संबंध में वाराणसी केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री संदीप का कहना है कि मेडिकल स्टोर्स ग्राहकों का पैसा नहीं गटक रहे हैं। अगर कोई दवा 34.33 रुपए की है तो वह 33 पैसा छोड़ भी देते हैं, लेकिन दवा की कीमत 34. 67 पैसे है तो वह पूरा 35 रुपए वसूल करेगा। कहीं फायदा तो कहीं नुकसान भी है।
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