एक्सपायरी दवाइयां रिपैक होने का मामला उजागर 

हिसार (हरियाणा)। गत दिवस पकड़ी गई एक्सपायरी दवाइयों का मामला दोबारा रिपैक करके आम उपभोक्ता तक पहुंचाने का मामला भी हो सकता है। इस दृष्टिकोण से भी देखा जा रहा है कि कहीं नए लिफाफे (पैकिंग) में पुरानी गुणवत्ता विहीन दवाइयां भरकर आम मरीज के पेट में तो नहीं पहुंचाई जा रही। याद रहे कि निजी एजेंसी से करीब 20 टन एक्सपायरी दवाइयों का जखीरा बरामद हुआ है। इसे राजस्थान से हिसार लाया गया था। चंडीगढ़ से आई पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (पीसीबी) की टीम ने हिसार के सेक्टर 27-28 में निजी एजेंसी पर छापा मारा। यहां से बरामद सभी दवाइयां एक्सपायरी डेट की मिली। इन दवाइयों को जब्त कर सैंपल ले लिए हैं। इनकी जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि हिसार में एक निजी एजेंसी के पास चिकित्सा संस्थानों का बायो-मेडिकल वेस्ट उठाने और निस्तारण करने की अनुमति है। एजेंसी की टीम सेक्टर स्थित अपने प्लांट में बायोमेडिकल वेस्ट का साइंटिफिक तरीके से निस्तारण करती है। वर्तमान में एजेंसी के पास करीब 394 अस्पताल व लैब रजिस्टर्ड हैं। एजेंसी इन से प्रतिमाह करीब 50 हजार किलोग्राम बायो मेडिकल वेस्ट उठाती है और उसका निस्तारण करती है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक पर्यावरण संरक्षण एक्ट के अंतर्गत बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट एंड हैंडलिग रूल 2016 है। इस नियम की पालना न करना गैर कानूनी है। ऐसा करने वालों को पांच साल की सजा या फिर एक लाख रुपये तक के जुर्माने या दोनों का प्रावधान है। पीसीबी की छापामारी के संबंध में एजेंसी के मैनेजर राकेश पांडे का कहना है कि हम दूसरे राज्य से यहां बायोमेडिकल वेस्ट का निपटान कर सकते है। राजस्थान की दवाइयां थी। टीम ने रूटीन निरीक्षण किया है। हमने नियम तोडऩे जैसा कोई कार्य नहीं किया है। दवाइयां राजस्थान के किस शहर से आई और कितनी थी, इस बारे में मैं अभी कुछ नहीं कह सकता हूं।
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