निजी अस्पताल के स्टोर से दवा खरीदना जरूरी नहीं 

रायपुर (छग)। निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम या किसी भी तरह की डिस्पेंसरी के अंदर खुले मेडिकल स्टोर से मरीजों को दवाइयां खरीदना जरूरी नहीं है। अस्पतालों में भर्ती मरीज या उनके परिजन किसी भी मेडिकल स्टोर से दवा खरीद सकते हैं। हाल ही में स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के पास इस बात की शिकायतें पहुंच रही थीं कि नर्सिंग होम प्रबंधन मरीजों और उनके परिजनों पर उनके ही मेडिकल स्टोर से दवाइयां खरीदने का दबाव डालते हैं। ऐसा नहीं करने पर वे दूसरे मेडिकल स्टोरों से खरीदी गई दवाइयों का उपयोग करने से इनकार कर रहे थे।
इस बारे में खाद्य एवं औषधि प्रशासन के नियंत्रक ने हाल ही में राज्यभर के सभी अस्सिटेंट ड्रग कंट्रोलर को पत्र जारी कर कहा है कि वे इस बात की जांच करें कि निजी नर्सिंग होम के अंदर स्थित मेडिकल स्टोर में दवाई खरीदी की बाध्यता को लेकर बोर्ड लगे हैं या नहीं। डीपीसीओ 2013 और ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के तहत यह बोर्ड लगाना अनिवार्य है। बोर्ड नहीं लगाने वाले दवा दुकानदारों पर कार्रवाई के तौर पर जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है।
राज्यभर में 800 से ज्यादा और रायपुर में करीब 180 निजी अस्पताल हैं। इनमें से 80 फीसदी अस्पतालों में मेडिकल स्टोर बने हुए हैं। यानी इन अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों को इन्हीं दुकानों से दवाइयां खरीदनी पड़ रही है। नर्सिंग होम और बड़े निजी अस्पतालों के अंदर मौजूद दवा दुकानों का कारोबार करोड़ों में होता है। आयकर विभाग ने कई बड़े अस्पतालों की दवा दुकानों का सर्वे कर बताया ािा कि अस्पतालों में दवाइयों की जितनी बिक्री हो रही थी, उसके आधे की भी बिलिंग नहीं की जा रही थी। दवा एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष भरत बजाज ने बताया कि राज्य सरकार के इस आदेश से एक बड़ी आबादी को फायदा होगा। एसोसिएशन ने ज्ञापन सौंपा था कि नर्सिंग होम के अंदर स्थित दवा दुकानों से मरीजों को जबर्दस्ती दवाइयों की खरीदी कराई जा रही है। इससे उन्हें कई तरह की परेशानी होती है। इसलिए इस बाध्यता को खत्म करने और लोगों को जानकारी देने के लिए नया आदेश जारी किया जाए।
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