कैमिस्ट बेच रहे नकली व प्रतिबंधित दवाइयां

लखनऊ। क्षेत्र में प्रतिबंधित दवाइयां बेरोकटोक बेची जा रही हंै। अस्पतालों के आसपास खुले मेडिकल स्टोर पर प्रतिबंधित और नकली दवाएं डॉक्टर का पर्चा दिखाए बिना ही बड़े आराम से खरीदी जा सकती हैं, बशर्ते आप इन दवाओं के बिल की मांग न करें।
गौरतलब है कि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से 344 दवाओं को प्रतिबंधित श्रेणी में रखा गया है। इसमें फिक्स डोज कॉम्बिनेशन वाली दवाओं की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। पेडर्म, ग्लूकोनार्म, ल्यूपिडीक्लाक्स, टैक्सीन जैसी दवाएं इसमें शामिल हैं। इनके अलावा, कई दवाएं ऐसी हैं जिन्हें डाक्टर की पर्ची पर ही बेचा जा सकता है। मेलीट्रेसिन नामक दवा एंटीडिप्रेसेंट है। यह ज्यादातर देशों में बैन है। फिर भी यह दवा खुलेआम बिक रही है। इसी तरह प्रतिबंधित की गई दवा फ्लूपेंटिक्सॉल, निमेसुलाइड भी बाजार में अलग- अलग नाम से मिल जाती हैं।
सूत्रों की मानें तो प्रतिबंधित दवाओं में सबसे ज्यादा कारोबार दर्द निवारक और शक्तिवर्धक दवाओं का है। इनके तीन हजार से ज्यादा उत्पाद बाजार में है। चूंकि शक्तिवर्धक दवाएं ज्यादातर लोग चोरी-छिपे खरीदते हैं। ऐसे में इनकी रसीद भी नहीं मांगते, जिससे इनका कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। इसकी कैप्सूल के साथ तेल, जैल बाजार में चल रहे हैं। इसमें ज्यादातर फिक्स डोज कंबिनेशन (एफडीसी) की दवाएं हैं। कुछ ऐसी भी दवाएं हैं, जो डोपिंग की श्रेणी में हैं। इन्हें भी चोरी-छिपे बाजार में उतारा गया है।
एफएसडीए के असिस्टेंट कमिश्नर रमाशंकर का कहना है कि प्रतिबंधित दवाओं की सूची जारी होने पर उसे मेडिकल स्टोर संचालकों तक भेजा जाता है। समय- समय पर जांच भी होती है। लेकिन जागरूकता की जरूरत है। ग्राहक जो भी दवा खरीदें, तत्काल रसीद मांगें। यदि दवा नकली या प्रतिबंधित होगी तो दुकानदार रसीद नहीं देगा। बिना रसीद वाली दवाओं का सेवन न करें। वहीं, जिस दवा पर लेबल, बैच नंबर, चेतावनी, डोज, बनाने वाली कंपनी का नाम, सेवन का तरीका आदि की जानकारी न हो, उसे प्रतिबंधित श्रेणी में मानकर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।

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