नशीली दवा सप्लाई केस में फार्मा कंपनी का एमआर गिरफ्तार

श्रीगंगानगर। बीते मार्च माह में जब्त की गई दो सौ प्रतिबंधित नशीली दवा की शीशियों के केस में पांचवीं गिरफ्तारी की गई है। आरोपी को पुलिस नई दिल्ली के स्लम एरिया से हिरासत में लेकर श्रीगंगानगर लाई है। आरोपी को अदालत में पेशकर रिमांड पर लिया गया है। जानकारी अनुसार आईपीएस हीतिका वासल की टीम ने 19 मार्च को श्रीगंगानगर निवासी टिंकू उर्फ अर्पित और रायसिंहनगर निवासी राहुल को हिरासत में लेकर दो सौ नशीली प्रतिबंधित दवा की शीशियां बरामद की थीं। पुलिस जांच में आरोपियों ने बताया कि वे उक्त दवाएं नशे के रूप में बेचने के लिए दिल्ली से लाए थे। दिल्ली में उनको भागीरथ पैलेस में मोनूसिंह नाम के व्यक्ति ने उक्त दवा की खेप बेची थी। पुलिस ने दिल्ली से मोनूसिंह को गिरफ्तार कर पूछताछ की तो उसने राजकुमार उर्फ सोनू स्वामी से यह दवा लेना बताया। सोनू को गिरफ़्तार कर पूछताछ में उसने मनोज रावत का नाम लिया। मनोज रावत दिल्ली की लोरेंस रोड स्थित झुग्गी-झोपडिय़ों में रहता है। उसका नाम सामने आने के बाद श्रीगंगानगर से रीडर निहाल बिश्नोई और राधेश्याम की टीम को दिल्ली भेजा गया।
पता चला कि आरोपी मनोज किसी दवा निर्माता कंपनी में एमआर की नौकरी करता है। पुलिस उसकी कंपनी में गई तो आरोपी उस दिन किसी कारण से आया नहीं था। जैसे ही उसे कंपनी से फोन कर पूछताछ के लिए बुलाया तो वह डर गया और गायब हो गया।
एसएचओ बिश्नोई ने बताया कि आरोपी जिस कंपनी में काम करता था, वह कंपनी बड़े पैमाने पर स्टॉक का निर्माण कर अपना मुनाफा लेकर नेशनल डिस्ट्रीब्यूटर को दे देती है। नेशनल स्टॉकिस्ट इस दवा को आगे बेचने के लिए एमआर नियुक्त करता है। आरोपी उक्त दवा के स्टॉक को किसी वास्तविक फर्म के नाम से बिल काटकर नकद भुगतान पर उठा लेता था। इस स्टॉक को वह आगे तस्करी के लिए बेच देता था। इसमें उसे मोटा मुनाफा हो जाता था। रीडर निहाल बिश्नोई के अनुसार आरोपी की पड़ताल में सामने आया कि उसने पुरानी कंपनी की नौकरी ही छोड़ दी है। वह पुलिस छापेमारी के बाद से वापस काम पर नहीं आया। उसने दिल्ली में ही दूसरी दवा निर्माता कंपनी में नौकरी शुरू कर दी थी। उसके ठिकाने का पता लगाकर आखिर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।

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