इन फार्मा कंपनियों में निवेश करने से मिलेगा लाभ

नई दिल्ली। फार्मा इंडस्ट्री ऐसे दौर से गुजर रही है, जहां एक तरफ नई पीढ़ी की स्पेशियलिटी ड्रग्स विकसित करने में प्रगति कर कर रहा है, तो दूसरी तरफ बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण को लेकर सरकार और नियामकों की ओर से दबाव बढ़ा है। दवाएं महंगी होने से हेल्थकेयर के बजट प्रभावित हो रहा है। ऐसे में सभी स्टेकहोल्डर्स को लंबी अवधि में लाभ मिले, इसके लिए जरूरी यह है कि नई-नई दवाओं का विकास भी होता रहे और कीमतें भी कम बनी रहें। इस क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे परिदृश्य में निवेशकों को ऐसी फार्मा कंपनियों में निवेश करना चाहिए जो आरएंडडी और विशेष पहल पर विशेष जोर दे रही हों। रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रहा है। इसका दवा निर्यात करने वाली कंपनियों को फायदा मिलेगा। निवेशक ऐसी कंपनियों में भी निवेश कर सकते हैं।
फार्मा कंपनियों के शेयरों में पिछले कुछ समय से गिरावट का रुझान है। ज्यादातर शेयरों की कीमतें 52 हफ्तों के निचले स्तर के आसपास चल रही हैं। सिप्ला, ल्यूपिन, बायोकॉन, ग्लेनमार्क फार्मा और कैडिला हेल्थकेयर कुछ ऐसी ही कंपनियां है। इनसे निवेशकों को बचना चाहिए। हालांकि सन फार्मा, डिवीज लैब और डॉ. रेड्डीज जैसे शेयरों में हम निचले स्तर पर से उछाल देख सकते हैं। इन शेयरों में रिकवरी के संकेत हैं। छोटे निवेशक सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए इन शेयरों में निवेश करना शुरू सकते हैं। एसआईपी ऐसी सुविधा है जिसके जरिए आप बाजार के माहौल, कीमतों पर ध्यान दिए बगैर इन शेयरों में हर महीने एक निश्चित राशि निवेश कर सकते हैं। आईटी सेक्टर में रेवेन्यू-मुनाफे के मामले में पिछला एक साल अच्छा रहा है। इसमें डिजिटाइजेशन और नॉन-लिनियर सेल्स मॉडल का अहम योगदान है। टीसीएस और इन्फोसिस देश की प्रमुख आईटी कंपनियां हैं। यह एंड-टू-एंड-साल्यूशन मुहैया कराने के लिए ग्राहकों के साथ करीबी तौर पर जुड़ी हैं। रुपए की कमजोरी के कारण इनकी सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट से होने वाली कमाई बढ़ेगी।
ऐसे छोटे निवेशक जो आईटी सेक्टर में निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए टीसीएस और इन्फोसिस जैसी कंपनियों में निवेश करने का यह सही समय है। इन दोनों कंपनियों के अलावा एचसीएल टेक्नोलॉजीज और एनआईआईटी टेक ऐसे शेयर हैं जो नई ऊंचाई छू रहे हैं। ये ऐसी कंपनियां हैं जो इनोवेशन और नई टेक्नोलॉजी को अपना रही हैं।

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