बड़ी फार्मा कंपनियां भी ड्रग स्टैंडर्ड पर खरी नहीं, निशाने पर 66 कंपनी

नई दिल्ली: 66 दवा कंपनियों के कुछ उत्पादों की गुणवत्ता डोमेस्टिक ड्रग रेगुलेटर के टेस्ट में खराब पाई गई हैं। इनमें फाइजर, डॉ रेड्डीज लैब, सिप्ला जैसी बड़ी कंपनियां भी शामिल हैं। पिछले दो साल में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल्स के ड्रग सर्वे के दौरान लिए गए इन कंपनियों की दवाओं के नमूने गुणवत्ता के तय मानको पर खरे नहीं उतरे। सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (  सीडीएससीओ) की वेबसाइट पर जारी नोटिफिकेशन में इसका खुलासा हुआ है।
       सीडीएससीओ के मुताबिक, 2014-16 के बीच चले सर्वे में दवा कंपनियों के पांच नमूने टेस्ट में फेल हो गए। नोटिफिकेशन में बताया गया है कि फाइजर के 25, डॉ. रेड्डीज और अलेंबिक के नौ-नौ, सिप्ला के सात और जायडस हेल्थकेयर के छह नमूने गुणवत्ता में खरे नहीं पाए। नोटिफिकेशन में उन दवाओं के नाम नहीं हैं जो सर्वे में फेल हुए हैं।
       फाइजर के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी टेस्ट की खातिर लिए गए नमूने के असली होने की पुष्टि करने में असमर्थ है। उनकी दवाओं के नूमने में पाई गई कथित खामियों के बारे में भी कमेंट नहीं किया जा सकता क्योंकि उनमें सील्ड मार्केट सैंपल मुहैया कराने की समुचित प्रक्रिया नहीं अपनाई गई थी। कंपनी के प्रवक्ता की मानें तो उनकी दवाओं के नमूने इंडिपेंडेंट फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन से मान्यता प्राप्त लैब की जांच के दौरान सभी मानकों पर खरे उतरे थे। उन्होंने कहा कि इसके बारे में रेगुलेटरी अथॉरिटीज को बता दिया गया है और उस पर आगे कोई कार्रवाई करने की जरूरत नहीं है। फाइजर की तरफ से बयान आया कि कंपनी उत्पादों की गुणवत्ता और मरीजों की सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए काम करती है। बाजार में जारी फाइजर की सभी दवाएं हर नेशनल और इंटरनेशनल टेस्टिंग में खरा उतरती हैं।
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