अब जीवनभर नहीं खानी पड़ेगी दवा

लखनऊ। ब्लड कैंसर के मरीजों को अब पूरी जिंदगी दवा के सहारे गुजारनी नहीं पड़ेगी। केजीएमयू और लोहिया संस्थान के 25 मरीजों को यूरोप और अमेरिका की तकनीक से इलाज दिया गया है। इन मरीजों को तीन साल तक दवाई दी गई, इसके बाद दवाई बंद कर डेढ़ साल से उनका फॉलोअप लिया गया। इसमें 80 फीसदी मरीजों को दोबारा ब्लड कैंसर नहीं हुआ है। ऐसे में अब इस तकनीक से मरीज इलाज कर पूरी तरह ठीक हो सकते हैं।
राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. एके त्रिपाठी ने बताया कि ब्लड कैंसर मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं, एक्यूट मायलोमा और क्रॉनिक मायलोमा। इसमें क्रॉनिक मायलोमा के मरीजों को लगातार दवा के सेवन से छुटकारा मिल सकता है। अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में इस पर शोध चला और मरीज पूरी तरह ठीक हो गए। उसी तकनीक के आधार पर केजीएमयू के 800 व लोहिया संस्थान के 150 ब्लड कैंसर मरीजों में से 25 क्रॉनिक मायलोमा के मरीजों को चयनित किया गया। इन मरीजों को उसी तकनीक के आधार पर दवा दी गई। तीन साल तक दवा दी। अब दवा बंद हुए लगभग डेढ़ साल हो चुका है। इसमें बीस मरीज पूरी तरह ठीक है दोबारा उन्हें अब तक ब्लड कैंसर नहीं हुआ है। डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि मरीजों की दवा तो बंद हो जाएगी लेकिन उन्हें फॉलोअप के लिए आते रहना होगा। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोबारा कैंसर तो नहीं पनप रहा। जिन्हें एक बार कैंसर हो जाता है उन्हें दोबारा होने के ज्यादा आसार होते हैं। यदि दोबारा पनपा तो दवा की डोज फिर से शुरू की जा सकती है।

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