कैमिस्ट ड्रगिस्ट फेडरेशन की राष्ट्रीय कार्यालय से मान्यता रद्द

गोवा, अम्बाला, बृजेंद्र मल्होत्रा। गोवा में एआईओसीडी की राष्ट्रीय स्तर की बैठक कई दृष्टिकोणों से अहम सिद्ध हुई। इस बैठक में होलसेलरों को एप्रूवल रेट पर दवा का स्टॉक आपूर्ति करने पर डटकर विरोध हुआ। दवा निर्माताओं को इस बारे राष्ट्रीय कार्यालय एप्रूवल वाली नीति बन्द करने को लिखेगा। सन फार्मा, जायड्स कैडिला द्वारा जारी पत्र का विरोध किया गया कि दवा का बैच नंबर मिलान करने के बाद ही एक्सपायर दवा वापस लेने के लिए फरमान जारी किया था जिसे सदन ने एकमत से नामंजूर करते हुए देशभर में पुराने सहमति पर ही काम करने को लिखा जाएगा। दवा जब कम्पनी की ही है तो क्यों बैच नंबर मिलान का प्रावधान रखें। कई बार राज्य वितरक से स्टॉकिस्ट को दवा किसी बैच की आती है बिल किसी अन्य बैच का आता है। यदि इसे बिल ठीक या स्टॉक बदलने के लिए प्रक्रिया अपनाई जाए तो ठीक होने में महीनाभर निकल जाता है। यह सम्भव नहीं हो सकता। अत: निर्माताओं को अपना निर्णय बदलना ही होगा। ऑनलाइन फार्मेसी के विरुद्ध न्यायालय से आदेश आने व डीसीजीआई के आदेशों के बावजूद ऑनलाइन दवा व्यापार पहले की तरह जारी है। इसके विरोध में फरवरी 2020 के अंतिम सप्ताह या मार्च 2020 के प्रथम सप्ताह में देशभर के दवा विक्रेता अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इस दौरान संगठन की तरफ से आपातकाल की स्थिति में कोई भी वैकल्पिक प्रावधान पर रोक लगाने का मन बना लिया। अत: बन्द के दौरान कोई इमरजेंसी सहायता नहीं होगी। संगठनात्मक मुद्दे पर चर्चा करते हुए कैमिस्ट ड्रगिस्ट फेडरेशन ऑफ उत्तरप्रदेश (सीडीएफयूपी) को संगठन के फंड्स के साथ छेडख़ानी के आरोप में कड़ा संज्ञान लेते हुए डी एफिलेट कर दिया गया है। अत: सीडीएफयूपी को अब एआईओसीडी का समर्थन नहीं है। नवम्बर 2020 में होने वाले राष्ट्रीय स्तर के चुनावों में सीडीएफयूपी के प्रदेश महासचिव व पूर्व राष्ट्रीय महासचिव को राष्ट्रीय चुनावों से दूर रखने व उन्हीं के राज्य में उन्हीं के राज्य के वरिष्ठ सदस्य द्वारा 420 के मामले में संलिप्त होने व राष्ट्रीय कार्यालय को सत्यता न उपलब्ध करवाने के दोष में उन्हीं के राज्य तक सीमित कर दिया। अब राज्य व पूर्व राष्ट्रीय महासचिव राष्ट्रीय बैठक में भी भाग नहीं ले पाएंगे तो चुनाव में भाग भी नहीं ले सकेंगे। कुछ दिन पहले जब पूर्व राष्ट्रीय महासचिव को नवम्बर में होने वाले राष्ट्रीय चुनावों में भाग लेने हेतु रूटीन बात की तो उन्होंने निजी व्यस्तता के चलते राष्ट्रीय स्तर के चुनावों में भाग न लेने की बात स्पष्ट की थी। फिर राष्ट्रीय कार्यालय को प्रतिद्वंद्विता पर शक क्यों बना हुआ था?

Advertisement