दवा के लिए कच्चे माल को लेकर फार्मा कंपनियों को टेंशन

नई दिल्ली। चीन में फैले कोरोना वायरस के चलते दवा के लिए आयात होने वाले कच्चे माल को लेकर भारतीय फार्मा कंपनियां टेंशन में आ गई हैं। चीन में कोरोना के कहर और दवाओं की बंद होती फैक्टरियों के कारण भारत की फार्मा कंपनियों की सेहत बिगड़ सकती है। वहीं डायबिटीज, ब्लड प्रेशर के लिए दवाओं की कमी पैदा होने के आसार हैं। यहां तक कि एंटिबायोटिक, पॅरासिटामॉल जैसी कॉमन मेडिसिन की भी बाजार में किल्लत हो सकती है। कोरोनावायरस से ये हालात पैदा हुए हैं।
बता दें कि चीन में कोरोना वायरस ने भारत की फार्मा इंडस्ट्री की टेंशन बढ़ा दी है। कंपनियों को कच्चे माल की कमी का डर सता रहा है। दवाओं के लिए करीब 90 फीसदी कच्चा माल सीधे तौर पर चीन से आता है। चीन के वुहान जैसे शहरों में इनका उत्पादन सबसे ज्यादा होता है लेकिन कोरोना की वजह से फैक्ट्रियों पर ताला लग गया है। कोरोना वायरस से चीन प्रोडक्शन यूनिटें बंद करता जा रहा है जिसकी वजह से सप्लाई चेन टूटने लगी है। फार्मा कंपनियों की इंवेंटरी खत्म हो रही है और अगर हालात नहीं सुधरे तो फरवरी के बाद मुश्किलें बढऩे लगेंगी। ल्यूपिन, सन फार्मा, ग्लेनमार्क, ऑर्बिंडो फार्मा, टोरेंट जैसी कंपनियां कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर हैं। ऐसे में सप्लाई चेन टूटी तो इन कंपनियों की हालत खराब हो जाएगी। दवा ही नहीं ऑपरेशन थियेटर के 90 फीसदी पाट्र्स भी चीन से आते हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अगले 6 महीने मुश्किल भरे हो सकते हैं।

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