कैमिस्ट फेडरेशन के महासचिव का निष्कासन बना सस्पेंशन

अम्बाला, बृजेंद्र मल्होत्रा। गोआ व वाराणसी में बीते माह हुई बैठकों में पूर्व राष्ट्रीय महासचिव एवं सीडीएफयूपी के मौजूदा महासचिव सुरेश गुप्ता को आगामी राष्ट्रीय चुनावों से कैसे दूर किया जाए, पर मुद्दा केन्द्रित रहा। वाराणसी में सुधीर अग्रवाल को जिला आजमगढ़ सहित सीडीएफयूपी से निष्कासन के माध्यम से राज्य संगठन से दूर किया गया, वहीं गोआ की राष्ट्रीय बैठक में सीडीएफयूपी की मान्यता को रद्द करने की घोषणा की गई।
परन्तु 17 दिनों तक राष्ट्रीय कार्यालय से सीडीएफयूपी को राष्ट्रीय कार्यालय से कोई भी लिखित जानकारी नहीं मिली। ऐसे में पूर्व राष्ट्रीय महासचिव एवं सुरेश गुप्ता ने 29 जनवरी 2020 को राष्ट्रीय महासचिव कार्यालय को लिखे पत्र में जहां उन पर लगे आरोपों पर स्थिति स्पष्ट करने से पूर्व क्षमा याचना की, वहीं सभी आरोपों को एक सिरे से नकार दिया तथा पुन: सुधीर अग्रवाल पर अपने कोप के तीर छोड़े। यह पत्र सभी राज्यों के प्रदेश महासचिव व प्रदेशाध्यक्ष को ई-मेल के माध्यम से भी भेजा गया। ऐसे में राष्ट्रीय कार्यालय को गोआ बैठक में लिए निर्णय के अनुसार पत्र लिखने की याद आ ही गई और 31 जनवरी 2020 को पत्र के माध्यम से सीडीएफयूपी को राष्ट्रीय बैठक में लिए गए निर्णय अनुसार मान्यता रद्द करने के स्थान पर सस्पेंशन के आदेश जारी करते हुए राष्ट्रीय कार्यालय द्वारा गठित कमेटी की जिम्मेदारी लगाई कि पूर्व राष्ट्रीय महासचिव एवं महासचिव सीडीएफयूपी सुरेश गुप्ता पर लगे आरोपों पर स्पष्टीकरण ले। राष्ट्रीय कार्यालय को सच्चाई पहुंचाएं, परन्तु यह बात सार्वजनिक नहीं हो पाई कि दोनों बैठकों में विशेष आकर्षण प्राप्त सुरेश गुप्ता पर लगे आरोपों के विरुद्ध राष्ट्रीय बैठक में लिए निर्णय अनुसार शब्दों का वजन हल्का करने के पीछे क्या कारण रहा? अब उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय संस्था से विशेष आशीर्वाद प्राप्त सुधीर अग्रवाल राज्य में नई टीम का अनावरण कब करेंगे? इस बारे सुधीर अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय कार्यालय से निर्देश मिलते ही राष्ट्रीय कर्णधारों के समक्ष पूरे राज्य के जिला अनुसार पदाधिकारियों की बैठक आहूत करवा देंगे। दूसरी तरफ, सुरेश गुप्ता जिन्हें अपने समर्थकों के समर्थन का पूरा भरोसा है, सस्पेंशन बारे बताते हैं कि शीघ्र राज्य पदाधिकारियों के समक्ष सारा पत्राचार रखा जाएगा। जैसा एकमत बनेगा उसी अनुसार आगे कदम उठाया जाएगा। क्या कारण रहे कि 12 जनवरी 2020 को लिए निर्णय के बाद 29 जनवरी 2020 को माफीनामा सार्वजनिक हो जाने के बाद सस्पेंशन व संगठनात्मक एसआईटी गठित करना कुछ संशय छोड़ गया ।

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