कोरोना से लड़ाई के साथ अब अस्पतालों में खून की किल्लत भी शुरू

डेंगू

कोरोना से लड़ाई के साथ अब अस्पतालों में खून की किल्लत भी शुरू हो गई है। केजीएमयू में खून व दूसरे अव्यय की मात्रा घटकर आधे से भी कम पर पहुंच गई है। डॉक्टरों का कहना है कि खून की आपूर्ति में तो ज्यादा कमी नहीं आई है। पर, स्वैच्छिक रक्तदान पूरी तरीके से ठप हो गया है। ऐसे में ब्लड बैंक में खून की किल्लत हो गई है।

केजीएमयू ब्लड बैंक में 2000 से 3000 यूनिट खून, प्लेटलेट्स व प्लाज्मा रहता था। अब यह संख्या घटकर 1200 से 1500 के करीब पहुंच गई है। ब्लड बैंक प्रभारी डॉक्टर तूलिका चंद्रा ने बताया कि प्लेटलेट्स महज 5 से 10 यूनिट ही बची है। सामान्य दिनों में 200 से 300 यूनिट प्लेटलेट्स रहता है । वही खून लगभग 1000 यूनिट है। प्लाज्मा 500 से 600 यूनिट बचा है।

उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला, थैलेसीमिया, एचआईवी व लावारिस मरीजों को बिना डोनेशन खून उपलब्ध कराया जा रहा है। पर, खून की कमी के मद्देनजर सभी से डोनेशन के लिए गुजारिश की जा रही है। उन्होंने बताया कि प्लेटलेट्स की उम्र महज 5 दिन होती है। लिहाजा रक्तदान कराकर उससे प्लेटलेट्स तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा कॉलेजों में एनएसएस के बच्चों को भी व्हाट्सएप पर खास पास जारी कर दो-तीन की संख्या में बुलाकर रक्तदान कराया जा रहा है। ताकि खून की कमी को दूर किया जा सके।

लोहिया अस्पताल के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ वीके शर्मा ने बताया कि अस्पताल में अभी पर्याप्त खून है। क्योंकि ऑपरेशन व दूसरी इमरजेंसी में कमी आई है। लिहाजा खून पर्याप्त मात्रा में है। आने वाले दिनों में यदि डोनेशन नहीं हुआ तो स्थिति बिगड़ सकती है। लिहाजा रक्तदान करने वाले संस्थाओं से संपर्क कर उन्हें रक्तदान के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

खून की उम्र 42 दिन होती है।
प्लेटलेट्स 5 दिन चलता है।
प्लाज्मा 1 साल तक सुरक्षित रहता है।

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