कोरोना का कहर: जरूरी नहीं कोरोना के हर मरीज को हो हाईग्रेड फीवर, हर व्यक्ति में नजर आते हैं वायरस के अलग लक्षण

उत्तराखंड के अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों में से किसी में भी हाईग्रेड फीवर और सांस में तकलीफ के लक्षण नहीं मिले हैं। हर मरीज पर कोरोना वायरस का असर अलग तरह से दिखाई दिया। मरीजों में वायरस लोड कम होने की स्पीड भी अलग अलग देखी गई।

सिर्फ पांच दिन रहा असर-
दून अस्पताल से शुक्रवार को डिस्चार्ज हुए ट्रेनी आईएफएस स्वरूप दीक्षित कोरोना वायरस से सिर्फ पांच दिन ही प्रभावित रहे। दूसरी रिपोर्ट में ही वह नेगेटिव आ गए और नौवें दिन अस्पताल से उन्हें छुट्टी मिल गई। दीक्षित को लो ग्रेड फीवर आया और उनके सूंघने व स्वाद लेने की शक्ति खत्म हो गई।

हल्का बुखार, नाक बंद
अस्पताल में एक अन्य कोरोना पॉजीटिव ट्रेनी आईएफएस पिछले 12 दिन से भर्ती हैं। कोरोना की वजह से उनका गला खराब हुआ और दो दिन तक हल्के बुखार के साथ नाक बंद रही। कोरोना से मुक्ति के लिए उन्हें पांच बार सैंपल टेस्ट कराने पड़े, ताजा रिपोर्ट नगेटिव आ चुकी है और डिस्चार्ज होने के लिए एक अन्य नेगेटिव रिपोर्ट का इंतजार है।

बुखार नहीं आया
अस्पताल में ही भर्ती तीसरे ट्रेनी आईएफएस अफसर को तो बुखार भी नहीं आया। उन्हें कोरोना की वजह से सिर्फ बदन टूटने और थकान की शिकायत रही। वह नौ दिन से अस्पताल में हैं और तीसरी जांच में उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। एक और जांच में नेगेटिव आने के बाद उन्हें भी छुट्टी दे दी जाएगी।

सिर्फ सामान्य खांसी
अस्पताल में भर्ती एक अन्य कोरोना पॉजीटिव अमेरिकी नागरिक भी सामान्य हैं। तीन दिन की सामान्य खांसी के अलावा उनमें कोरोना का कोई गंभीर लक्षण नहीं दिखाई दिया है।

सांस में तकलीफ नहीं
दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ आशुतोष सयाना ने बताया कि अस्पताल में भर्ती चारों कोरोना पॉजीटिव मरीजों में से किसी को भी हाई ग्रेड फीवर नहीं आया। न किसी को सांस लेने की तकलीफ जैसी परेशानी हुई। उन्होंने कहा कि सभी मरीज युवा थे इसलिए इम्युनिटी की वजह से ऐसा हुआ हो। उन्होंने बताया कि हर मरीज में वायरस के लक्षण अलग अलग नजर आए।

नया मरीज भी एकदम सामान्य
शनिवार को 21 साल के एक युवा में कोरोना की पुष्टि हुई है। लेकिन इस युवा में भी हाईग्रेड फीवर या कोई अन्य गंभीर लक्षण नहीं हैं। युवक को बहुत सामान्य बुखार हुआ था। लेकिन विदेश की हिस्ट्री होने की वजह से डॉक्टरों ने उनका सैंपल जांच के लिए भेज दिया। युवक पूरी तरह सामान्य दिखाई देने की वजह से कई दिनों से घर पर ही रहा। डॉक्टर कोरोना के ऐसे मामलों को कम्युनिटी ट्रांसमिशन के लिए खतरनाक मान रहे हैं।

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