कुनैन दवा बनाने वाली एकमात्र फैक्टरी फिर होगी शुरू !

कोलकाता। देश में कुनैन दवा बनाने वाली एकमात्र फैक्टरी को फिर से शुरू करने की कवायद हो गई है। उदेना अम्गमू यॉनजोम एकमात्र आधिकारिक क्विनोलॉजिस्ट हैं यानी मलेरिया के इलाज में काम आने वाली पुरानी दवा कुनैन की विशेषज्ञ। यह दवा भारत में सिनकोना के पेड़ की छाल से बनाई जाती है। दार्जिलिंग की पहाडिय़ों के बीच स्थित यह संयंत्र 1874 में स्थापित किया गया था, लेकिन 2001 से बंद है क्योंकि यह बेहतर उत्पादन कार्यप्रणाली (जीएमपी) का दर्जा हासिल करने में नाकाम रहा। भारत में दवाओं के निर्माण के लिए यह दर्जा जरूरी है। देश में कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए अंग्रेजों के जमाने की इस बीमार इकाई को फिर से शुरू करने की जरूरत महसूस हो रही है। क्लोरोक्वीन की तरह मलेरिया के इलाज में काम आने वाली दवा हाइड्रोक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) को कोविड-19 के इलाज में कारगर माना जा रहा है। क्लोरोक्वीन कुनैन का सिंथेटिक रूप है। इसका कम विषाक्त और उन्नत संस्करण ही एचसीक्यू है। कोविड-19 महामारी फैलने से बहुत पहले ही पश्चिम बंगाल सरकार ने इस कुनैन संयंत्र के पुनरुद्घार का काम शुरू कर दिया था। दार्जिलिंग की कुनैन फैक्टरी को फिर शुरू करने की संभावनाएं रोमांचक लगती हैं, लेकिन डॉक्टरों ने अभी यह नहीं बताया है कि कुनैन एचसीक्यू का विकल्प हो सकती है या नहीं। कोविड-19 के इलाज में एचसीक्यू का इस्तेमाल अभी परीक्षण के दौर में है। एक निजी अस्पताल में जनरल मेडिसिन विभाग के कंसल्टेंट अरिंदम विश्वास ने कहा कि कुनैन कभी बेहद कारगर दवा थी और मलेरिया के गंभीर मामलों के इलाज में काम आती थी।

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