मलेरिया की बीमारी कम और दवा की डिमांड ज्यादा

ग्वालियर। देश में मलेरिया की बीमारी पर भले ही काफी हद तक अंकुश लगाने में सफलता मिली है लेकिन जिस कोरोना संक्रमण काल में इस दवा की मांग बढ़ गई है। मलेरिया की दवा क्लोरोक्विन फॉस्फेट की मांग इन दिनों मलेरिया की बीमारी से अधिक कोरोना की चेन को तोडऩे के लिए की जा रही है। इस दवा की मांग भारत सहित विश्व के हर उस देश में की जा रही है जहां कोरोना अपना फन फैलाए है। मेडिकल साइंस का मानना है कि यह दवा ब्लड में कोरोना संक्रमण की चेन को ब्रेक करने में कारगर साबित हो रही है। इस बीमारी की दवा आज कोरोना को रोकने में कहीं न कहीं अपना योगदान दे रही है। इसके साथ ही गठिया बाव में उपयोग आने वाली दवा हाईड्रोक्लोरोक्विन का भी कोरोना की चेन तोडऩे में उपयोग लिया जा रहा है। यही कारण है कि अमेरिका, जापान सहित अन्य ठंडे देश जहां मलेरिया का प्रकोप कम रहता है वहां से इसकी दवा की सर्वाधिक मांग की जा रही है। गंदे पानी में पाए जाने वाले एनाफिलीज मच्छर से फेल्सिपेरम और बाइवेट तथा इसके अलावा दूसरे मच्छरों से ओवेन, मलेरी रोग फैलता है। भारत में फेल्सिपेरम रोग प्राणघातक साबित हुआ है। मलेरिया अधिकारी मनोज पाटीदार का कहना है कि लगातार मलेरिया के मामले साल दर साल घटे हैं। लॉकडाउन सहित पिछले चार माह में अबतक महज 14 मामले ही सामने आए हैं। मेडिसिन विभाग के डॉ. अजय पाल का कहना है कि ब्लड में हिम और फोरफायरिन होता है जिस पर कोरोना का संक्रमण अटैक करने से इनका सिस्टम बिगड़ जाता है, जिसे ठीक करने के लिए दवा का उपयोग किया जाता है या यूं कहां जाए कि ब्लड में फैले विषाणुओं की चेन को तोडऩे के लिए क्लोरोक्विन फॉस्फेट और हाईड्रोक्लोरोक्विन दवा का उपयोग किया जाता है। यह दवा ब्लड में बनने वाली विषाणुओं की चेन को तोड़ती है। डॉ. मनोज कौरव का कहना है मलेरिया व टीबी जैसी बीमारी का प्रकोप जिन स्थानों पर अधिक रहा है। उन क्षेत्रों में इन बीमारियों से प्रभावित होने वालों पर मलेरिया की दवा एवं टीबी की दवा का व बीसीजी वैक्सीन का प्रयोग किया गया होता है। यह दवा मानव शरीर में संक्रमण से लडऩे के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। टीबी रोग के लिए दी जाने वाली दवा व वैक्सीन से मानव के ब्लड में रोग प्रतिरोधक तत्व लंबे समय तक बनते रहते हैं। जिसके कारण कोरोना संक्रमण अपना प्रभाव नहीं दिखा पा रहा है। मेडिकल साइंस गर्म प्रदेशों में कोरोना के प्रभाव कम होने के कुछ कारक बताते हैं। डॉ. अजय पाल का कहना है कि गर्म प्रदेशों में कोरोना संक्रमण का स्थानांतरण घट जाता है। दूसरा भारत में कोरोना के अलग-अलग प्रकार देखे जा रहे हैं। तीसरा टीबी व मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में कोरोना का असर कम देखा जा रहा है, लोग संक्रमित होने पर ठीक हो रहे हैं।

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