हिसार के वैज्ञानिकों ने खोजी कोरोना की दवा, परीक्षण की तैयारी

हिसार। कोरोना संक्रमण की दवा खोजने को लेकर राहत भरी खबर मिली है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत काम करने वाले राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीए) हिसार के वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस की एक दवा खोजने में सफलता पाई है। यदि इसका परीक्षण सफल रहा तो इससे कोविड-19 के मरीजों का इलाज किया जा सकेगा। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) के प्रवक्ता का कहना है कि इस समय कोरोना महामारी विश्व समुदाय के लिए इस सदी के सबसे भयानक संकट के रूप में उभरकर सामने आया है। कोरोना पर नियंत्रण के लिए फिलहाल न तो कोई दवा और न ही कोई टीका उपलब्ध है। परंपरागत रूप से एंटीवायरल दवाओं को विकसित करते समय वायरस के किसी एक प्रोटीन को टारगेट किया जाता है। लेकिन वायरस को अपने आप में तेजी से और लगातार परिवर्तन करने की अपनी क्षमता इस तरह की दवाओं को बेअसर कर देती है। वैज्ञानिकों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। आईसीएआर के अधीन कार्यरत राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र हिसार के वैज्ञानिक इस तरह की दवा को विकसित करने में लम्बे समय से प्रयासरत हैं। वैज्ञानिकों ने परंपरागत एवं गैरपरंपरागत एंटीवायरल दवा बनाने के तरीकों एवं वायरस की दवा प्रतिरोधी क्षमता पर अपने विचार रखे हैं। कोरोना महामारी के शुरू होते ही केन्द्र के वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसी परंपरागत दवाओं पर तेजी से परीक्षण शुरू किया जिनका उपयोग मनुष्य में पहले कभी न कभी अन्य बीमारियों में हो चुका है और पूर्णतया सुरक्षित मानी जाती है। ऐसी दवाएं सामान्यतया सीधे वायरस पर टारगेट करने की बजाय होस्ट की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं। इस दिशा में एक कम्पाऊंड वीटीसी-एंटीसी1 ने मुर्गी के भ्रूणों को कोरोनावायरस (इन्फैकशियस ब्रांइकाइट्स वायरस) के खिलाफ न केवल पूर्णतया सुरक्षा प्रदान की अपितु भ्रूणों के विकास को भी सामान्य बनाए रखा। इसके बाद इस दवा का अन्य विषाणुओं जैसे एन.डी.वी. (आर.एन.ए. वायरस) एवं बफैलोपॉक्स (डी.एन.ए.वायरस) में भी सफल परीक्षण किया गया। इन सभी परिणामों से हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि वीटीसी-एंटीसी1 कोविड-19 के खिलाफ यह कारगर साबित हो सकता है। फिलहाल इसका परीक्षण किया जा रहा है और इसकी सफलता के बाद ही कोरोना पीडि़तों पर इसे आजमाया जाएगा।

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