नया खेल : डायबिटीज की कम पॉवर की दवा महंगी और ज्यादा की सस्ती

कानपुर। विदेशी कंपनियों की डायबिटीज की दवाओं में नया खेल सामने आया है। अधिक लाभ कमाने के लिए शुगर की कम पॉवर की दवा महंगे दामों पर बेची जा रही है जबकि ज्यादा पॉवर की सस्ते दाम पर। दरअसल, कम पॉवर की दवा की मांग ज्यादा है। मरीजों को इसका पता नहीं चल पाता है। बता दें कि डायबिटीज की दवाओं में विदेशी कंपनियों की करीब 60 फीसदी हिस्सेदारी है। देश में डायबिटीज के रोगी लगातार बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों ने मल्टीनेशनल कंपनियों की दवाओं को प्राथमिकता दे रखी है इसलिए सिटाग्लीपटिन, सिटाग्लीपटिन-मेटफार्मिंग, डैपाग्लिफ्लोजिन, सेक्साग्लीपटिन सॉल्ट की दवाओं में बाजार में विदेशी कंपनियों का ही दबदबा है। सिटाग्लीपटिन-मेटफार्मिंग सॉल्ट की 50 एमजी की एक टेबलेट 25.33 में और एक ग्राम की टेबलेट 26 रुपए में बेची जा रही है। इसी तरह डैपाग्लिफ्लोजिन सॉल्ट की 5 एमजी की टेबलेट 54.40 तो 10 एमजी की टेबलेट 57.35 एमआरपी पर बिक रही है। शुगर के मरीजों को सेक्साग्लीपटिन सॉल्ट की 5 एमजी की टेबलेट 51.50 तो डबल पावर की 56 रुपए में मिल रही है। डैपाग्लिफ्लोजिन-मेटफार्मिंग सॉल्ट की दवा में तो 10 एमजी की एक टेबलेट 57.70 तो डबल पॉवर (एक ग्राम) की दवा 59.80 रुपए में मिल रही है। डायबिटीज में इन सॉल्ट की दवाओं की सर्वाधिक मांग है तो कंपनियों ने नया तरीका भी निकाल लिया है। यूपी केमिस्ट एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन के महामंत्री राजेन्द्र सैनी का कहना है कि बाजार में शुगर की विदेशी ब्रांड की दवाओं की मांग ज्यादा है इसलिए कंपनियों ने नया तोड़ निकाल गया। अगर मरीज देसी कंपनियों की दवाएं ज्यादा खरीदने लगे तो अपने आप उन्हें भी दाम कम करने पड़ेंगे। आधा दर्जन सॉल्ट की विदेशी ब्रांड की डायबिटीज दवाओं का विकल्प बाजार में है लेकिन मरीज ब्रांडेड ही मांगते हैं।

Advertisement