सस्ता नहीं होगा हैंड सैनिटाइजर !

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए उपयोगी माना जाने वाला हैंड सैनिटाइजर ससता नहीं होगा। इस पर 18 फीसदी के बजाए 12 फीसदी जीएसटी लगाने की व्यापारियों की मांग पर राहत मिलने के आसार फिलहाल कम हैं। कारोबारियों की दलील है कि इस उत्पाद पर इतना ही जीएसटी लगाया जाना चाहिए। उनका कहना है कि इसका इस्तेमाल मेडिकल कार्यों में होता है इसलिए इस पर 12 फीसदी जीएसटी ही लगाया जाना चाहिए। पिछले हफ्ते जीएसटी इंटेलीजेंस के महानिदेशक ने जीएसटी अधिकारियों को चि_ी लिखकर चेताया था कि एल्कोहल आधारित सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियां बड़े पैमाने पर टैक्स की चोरी कर रही हैं। जीएसटी के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नरों और चीफ कमिश्नरों को लिखी गई चि_ी में जीएसटी इंटेलीजेंस की तरफ से इनपुट दिया गया था कि कुछ कंपनियों 18 के बजाए इसे 12 फीसदी जीएसटी के साथ बेच रही हैं। जीएसटी इंटेलीजेंस यूनिट ने ये भी बताया कि चिकित्सीय इस्तेमाल की चीजें 12 फीसदी के दायरे में आती हैं वहीं फंगीसाइड, बायोडीजल और पेस्टीसाइड जैसी चीजों पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है और सैनिटाइजर चिकित्सीय वर्ग में। मामले से जुड़े अधिकारी का ये भी कहना है कि अगर सरकार सैनेटाइजर को 12 फीसदी के दायरे में लाने का फैसला करती भी है तो इसके लिए जीएसटी काउंसिल की मंजूरी लेनी पड़ सकती है और कारोबारियों को फौरी राहत नहीं मिलेगी। आंकड़ों के मुताबिक कोरोना के पहले देश में सैनिटाइजर बनाने वाली सिर्फ 35 मैन्युफैक्चर्रस थे लेकिन अब इनकी तादाद बढक़र 48 हो गई है। वहीं देश में महामारी के पहले जहां इसका उत्पादन 1.95 करोड़ लीटर सालाना हुआ करता था अब ये बढक़र 4.15 करोड़ लीटर सालाना हो गया है।

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