सरकारी ऐलान: स्टंट के बाद ‘घुटना’ सस्ता, दाम पर लगाई लगाम

नई दिल्ली: घुटना रोग गठिया से पीडि़त मरीजों को पैसे के अभाव में इलाज के लिए डॉक्टरों के आगे अब घुटने नहीं टेकने पड़ेंगे। बेलगाम स्टंट की कीमतों पर नकेल कसने के बाद केंद्र सरकार ने घुटना उपकरणों के दामों में भी आधे अधिक की कटौती कर दी। सरकार ने घुटना उपकरणों की कीमत डेढ़ लाख रुपये से घटाकर 55 हजार रुपये पर सीमित करने का आदेश जारी कर दिया है, जिसे तत्काल प्रभावी बनाने को कहा गया है। सख्त चेतावनी दी गई है कि सरकार के इस आदेश पर अमल नहीं करने वाले अस्पतालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। केंद्रीय केमिकल एवं फर्टिलाइजर मंत्री अनंत कुमार की इस ताजा घोषणा के बाद से फार्मा सेक्टर में हलचल है।

अनंत कुमार ने कहा कि घुटने बदलवाने को सस्ता करने से सालाना 1500 करोड़ रुपये की बचत होने का अनुमान है। देश में सालाना डेढ़ से दो लाख लोगों को घुटने बदलवाने पड़ते हैं। घुटने बदलने में अपर और लोअर लिंब के साथ पटेला जैसे उपकरण लगाए जाते हैं। यह पांच तरह के होते हैं, जिनके मूल्य भी अलग-अलग वसूले जा रहे हैं। 80 फीसदी मरीज स्टैंडर्ड कोबाल्ट क्रोमियम लगवाते हैं। अस्पताल इसका मूल्य 1.58 लाख से ढाई लाख रुपये तक वसूलते हैं। सरकार ने इसका अधिकतम मूल्य 54,750 रुपये कर दिया है।

इसी तरह दूसरे स्पेशल मेटल लाइक टाइटेनियम है, जिसका मूल्य ढाई लाख से साढ़े 4 लाख तक है। अब इसे घटाकर 76,600 कर दिया गया है। तीसरा उपकरण हाई फ्लेक्सीबिलीटी इंप्लांट है, जिसका मूल्य 1.81 लाख है। अब इसकी कीमत 56,490 रुपये कर दी गई है। चौथी श्रेणी में बदले हुए घुटने को 10 साल बाद बदलने की जरूरत पड़ती है, जिसके लिए 2.75 लाख से 6.5 लाख मूल्य वसूला जाता है। सरकार ने उसका मूल्य 1.13 लाख कर दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि 2020 तक देश में गठिया रोग के प्रकोप से घुटने खराब होने वालों की संख्या तेजी से बढ़ेगी। एक बड़ा तबका घुटने के दर्द से तड़प रहा होगा। इस तड़प को से छुटकारा दिलाने के लिए सरकार ने अच्छी नीयत लेकर इच्छाशक्ति के साथ कदम आगे बढ़ाया।

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