कोरोना महामारी के बीच गहरा रहा ऑक्सीजन का संकट

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देश में कोरोना महामारी के बढ़ते मामलों के बीच राज्यों को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ रहा है। एक रिपोर्ट में बताया गया कि मध्य प्रदेश के देवास जिले में ऑक्सीजन की कमी की वजह से चार मरीजों की मौत तक हो गई थी। हालांकि राज्य सरकार ने इससे इनकार किया है, मगर माना है कि राज्य को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ा। टीओआई के मुताबिक एमपी के चार जिलों देवास, जबलपुर, छिंदवाड़ा और दमोह को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ा, क्योंकि ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहीं नागपुर स्थिति इकाईयों ने अचानक आपूर्ति बंद कर दी थी। इसी तरह पंजाब ने भी अन्य राज्यों को बेचने वाले राज्य आधारित उत्पादनों पर प्रतिबंध लगा दिया, जबकि इसकी सप्लाई के लिए इकाईयां हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा तक पहुंच गई थीं। हालांकि प्रदेश के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया कि वे वर्तमान जरूरत को पूरा करने के लिए चिकित्सा ऑक्सीजन के स्थानीय उत्पादन में वृद्धि करें। अधिकारियों ने कहा कि भविष्य के किसी भी संकट से निपटने के लिए ऑक्सीजन की कमी का सामना नहीं करना पड़े, इसके मद्देनजर यह कदम उठाया गया। दूसरी तरफ कई राज्यों में ऑक्सीजन आपूर्ति में कमी और मांग में बढ़ोतरी के बीच इसके दाम में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले साल राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने ऑक्सीजन की कीमत प्रति क्यूबिक मीटर 17 रुपए तय की थी। मगर तेलंगाना में दूसरे राज्यों से ऑक्सीजन का आयात शुरू होने के बाद ऑक्सीजन की कीमतें 10 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर से बढ़कर 50 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गई हैं। इसी तरह आंध्र प्रदेश में निजी हॉस्पिटल ऑक्सजीन लगे बेड के लिए अधिक चार्ज ले रहे हैं। ऐसे ही गोवा में 3.5 से 5 रुपए क्यूबिक मीटर तक ऑक्सीजन के दाम बढ़े हैं। कर्नाटक में 13-18 रुपए तक दाम बढ़े हैं। दरअसल एमपी और कर्नाटक की तरह यूपी के आगरा को भी ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ा था क्योंकि दिल्ली में मांग बढ़ गई थी और आपूर्तिकर्ता राजधानी में ऑक्सीजन इकाइयों पर निर्भर थे। इसी तरह राज्य के झांसी और बुंदेलखंड में उस समय हड़कंप मच गया जब पड़ोसी राज्य के इंदौर और भोपाल में ऑक्सीजन की मांग में बढ़ोतरी हुई। इसी तरह केरल में 60 फीसदी ऑक्सीजन की आपूर्ति राज्य के भीतर ही एक कंपनी द्वारा की जाती है और बाकी तमिलनाडु स्थित इकाइयों द्वारा की जाती है। हालांकि राज्य में ऑक्सीजन आपूर्ति के स्तर पर अभी कोई कमी देखने को नहीं मिली है। तो वही केंद्र सरकार ने ये पत्र राज्यों को महाराष्ट्र सरकार के उस आदेश के बाद जारी किया है जिसमें राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन कानून के तहत राज्य के बाहर ऑक्सीजन की सप्लाई पर रोक लगाने की मांग की। सात सितंबर को महाराष्ट्र से ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद होने के बाद मध्य प्रदेश और कर्नाटक को इसकी कमी का सामना करना पड़ा, जब महाराष्ट्र सरकार ने ऑक्सीजन उत्पादन का 50 से 80 फीसदी हिस्सा अपने पास ही रखने के लिए कहा था। कई राज्य अधिकांश ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए सूबे से बाहर की यूनिट्स पर निर्भर हैं। ऐसे में इन राज्यों को और भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि कई राज्यों ने ऑक्सीजन की बाहर सप्लाई को रोकने की कोशिश की है। हालांकि केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसे राज्यों को पत्र लिखकर अपील की है कि वो अपने राज्यों से बाहर ऑक्सीजन सप्लाई को बाधित ना करें।

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