रेमडेसिवीर इंजेक्शन की हो रही कालाबाजारी

उज्जैन। कोरोना पॉजिटिव के उपचार में मौका आने पर एंटी वायरल ड्रग के रूप में डॉक्टररेमडेसिवीर इंजेक्शन लिख रहे हैं। इस इंजेक्शन की शहर में कालाबाजारी चल रही है। हालात यह है कि लोग इंदौर जाकर इसे ला रहे हैं। बावजूद इसके इस इंजेक्शन की बिक्री की दरों को लेकर औषधि विभाग कुछ नहीं कर रहा है। दरअसल केडिला हेल्थ केयर द्वारा रेमडेक 100 एमजी इंजेक्शन की प्रति वायल की एमआरपी 2800 रुपए है। वहीं हेट्रो कंपनी के इंजेक्शन कोवीफार 100 एमजी की एमआरपी 5400 रुपए प्रति वायल है। इसी प्रकार सिपला की सिप्रेमी 100 एमजी की एमआरपी 4000 रुपए है। यह भाव जीएसटी जोड़कर है वहीं कतिपय लोग जीएसटी अलग से लगा रहे हैं। ऐसे मेडिकल स्टोर्स भी है जो बगैर बिल के इंजेक्शन दे रहे हैं और कहा जा रहा है कि बिल लोगे तो जीएसटी देना होगी? मरीज के परिजन सोचते हैं कि जितने रूपये बच जाए, उतने ही सही।
बतादे एक मरीज ने बताया कि हमारे रिश्तेदार शहर के एक प्रायवेट हॉस्पिटल में भर्ती थे। हमें उज्जैन में तो इंजेक्शन नहीं मिल पाए। हमने इंदौर तलाशा और वहां से 6 हजार रुपए प्रति नग, बगैर बिल के मिले। मजबूरी थी, इसलिए 36 हजार रुपए में तत्काल खरीदे। तो वही आर डी गार्डी मेडिकल कॉलेज के डॉ.सुधाकर वैद्य ने कहा कि एंटी वायरल ड्रग में यह अभी सबसे अधिक चलन में है। परिणाम मिले जुले आ रहे हैं। हमारे यहां उचित समझने पर डॉक्टर्स यह इंजेक्शन लिखते हैं। मरीज का परिजन कहीं से भी लाए, हम किसी दुकान विशेष का नाम नहीं बताते हैं। बाजार में किस भाव में उसे इंजेक्शन मिला, हमें नहीं पता। मरीज का परिजन मना कर देता है कि मत लगाओ, तो हम दबाव भी नहीं बनाते हैं।
दरअसल रेमडेसिवीर इंजेक्शन एक एंटी वायरल ड्रग है। इसका उपयोग अमेरिका में एफडीआई ने स्वीकृत कर रखा है।

वहां कोरोना मरीजों को फेफड़ों में संक्रमण होने की स्थिति में लगाया जाता है। यह इंजेक्शन वैसे प्रदेश सरकार ने शासकीय अस्पतालों में लगाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। वहीं प्रदेश सरकार इसकी खरीदी भी नहीं कर रही है। लेकिन बाजार में इसकी उपयोगिता को लेकर जिस प्रकार से बढ़-चढ़कर दावे किए जा रहे हैं, उसे देखते हुए कतिपय प्रायवेट हॉस्पिटल्स और आरडी गार्डी मेंडिकल कॉलेज में इसकी रिकमेंट डॉक्टर्स कर रहे हैं तथा मरीजों के परिजनों को कहा जा रहा है कि 6 इंजेक्शन के इस डोज को देना चाहिए, संभव है रिकवरी हो जाए। यह भी कहा जा रहा है कि इसे लगाने पर कोरोना मरीजों की रिकवरी की दर 14 की जगह 10 दिन हो जाती है।

 

 

 

 

 

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