कोरोना दवा से फार्मा कंपनियों की बल्ले-बल्ले

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के चलते जहां पूरी दुनिया के लोग सकते में हैं, वहीं इस महामारी से बचाव में लाभकारी मानी जाने वाली दवाओं से फार्मा उद्योगों की बल्ले-बल्ले हो गई है। बीते माह देश में कोरोना वायरस की कई दवाइयां लॉन्च हुई हैं। इससे घरेलू फार्मा बिक्री में सुधार हुआ है। सितंबर महीने में दवाइयों की बिक्री सबसे अधिक हुई। साल-दर-साल आधार पर बिक्री में करीब 4.7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। कोरोना वायरस महामारी के दौरान यह अब तक की सबसे बड़ी बिक्री मानी जा रही है।
बता दें कि अगस्त महीने में दवाइयों की बिक्री 2 फीसदी कम रही है। दवाइयों के दाम में बढ़ोतरी हुई है और कई दवाइयां भी लॉन्च हुई है। लिहाजा बिक्री में बढ़ोतरी दर्ज की गई लेकिन जो बिक्री में बढ़ोतरी हुई है वो कोरोना वायरस की दवा लॉन्च होने से हुई है। जानकारों का मानना है कि सितंबर महीने में नई दवाओं की बिक्री में पिछले 36 महीने के मुकाबले सालाना आधार पर 3.8 फीसदी बिक्री दर्ज की गई है। कोरोना वायरस से संबंधित कई दवाइयां इसी महीने लॉन्च हुई हैं और इन दवाइयों के दाम काफी ऊंचे रहे हैं। पिछले कुछ महीने में कोरोना वायरस की दवा बनाने वाली कंपनियों की बिक्री में भी जोरदार सुधार देखने को मिला है। सितंबर महीने में ग्लेनमार्क की बिक्री में सालाना आधार पर 37 फीसदी बढ़ोतरी देखने को मिली। इसी तरह सिप्ला की बिक्री में सालाना आधार पर 16 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली। दवाइयों की बिक्री बढऩे का कारण ये था कि इन दोनों कंपनियों ने कोरोना वायरस की दवा लॉन्च की थी। कुल मिलाकर भविष्य में कोरोना वायरस की दवाइयां फार्मा सेक्टर की बिक्री में अहम भमिका निभा सकती हंै। फाइनेंसिएल एडवाइजर सर्विसेज नोमुरा के मुताबिक, उम्मीद है कि फिस्कल ईयर 2021 की दूसरी तिमाही में कोविड की दवाएं सिप्ला और ग्लेनमार्क की बिक्री में अहम भूमिका निभाएंगी। सिप्ला को रेमेडेसिविर की बिक्री से फायदा होगा। इसी तरह ग्लेनमार्क को फैविपिराविर से फायदा होने की संभावना है। इस अवधि में डा रेडीज और कैडिला को रेमेडेसिविर की बिक्री होने से थोड़ा फायदा होने की उम्मीद है।

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