प्रतिबंधित नशीली दवाओं का धंधा जोरों पर

करनाल। अपनी ऐतिहासिक व सामाजिक छवि के लिए अलग पहचान रखने वाला करनाल जिला अब ट्रामाडोल व लोमोटिल सहित अन्य प्रतिबंधित नशीली दवाओं के धंधे का गढ़ बनता जा रहा है, जहां से प्रदेश भर में ही नहीं बल्कि पंजाब, राजस्थान तक भी प्रतिबंधित नशीली दवा धड़ल्ले से सप्लाई की जा रही है। तो वहीं दूसरी तरफ एंटी नारकोटिक्स सैल के इंचार्ज मोहन लाल के मुताबिक आरोपितों ने माना कि लॉकडाउन लागू होने पर नशे के दूसरे पदार्थो पर पाबंदी लग गई थी, जिसके चलते डिमांड ऐसी नशीली दवाओं की बढ़ने लगी। अनिल व परगट के मुताबिक पहले वे हल्के स्तर पर ही ये दवाएं सप्लाई करते थे, लेकिन लॉकडाउन में डिमांड बढ़ने पर खेप मंगवाई जाने लगी और नेटवर्क भी बढ़ा दिया। परगट व दिलबाग ने अपना नेटवर्क पंजाब से लेकर राजस्थान तक भी फैला दिया। गौरतलब है कि रात के अंधेरे में चलता है। यह काला कारोबार नशीली दवाओं का काला कारोबार रात के अंधेरे में चलाया जाता है।

एंटी नारकोटिक्स सैल की टीम ने इसका नेटवर्क खंगाला तो पता चला कि गांव अरडाना में सोनीपत से अल सुबह पौने पांच बजे पहुंच गई थी, जहां अनिल कुमार ने तत्काल ही आरोपित परगट तक भी पहुंचा दी तो इसमें से 40 हजार गोलियां उसका भाई दिलबाग सिरसा में सप्लाई के लिए लेकर निकल पड़ा। हालांकि वह फतेहाबाद में पकड़ा गया। बता दें कि एंटी नारकोटिक्स सैल ने इसी माह की शुरूआत में जलमाना के बबलू को गुप्त सूचना के आधार पर काबू कर करीब 22 हजार गोलियां बरामद की थीं। इसके बाद नेटवर्क का पता चला तो इसमें गांव जभाला के एक युवक के बाद बाल जाटान के रणजीत और इसके बाद पानीपत में मेडिकल स्टोर चला रहे मनोज का नाम सामने आया है। यह एक नेटवर्क था, जिससे करीब 42 हजार गोलियां बरामद की गई। इन चारों आरोपित को जेल भेजा गया। इसके बाद सैल को दूसरे नेटवर्क का पता चला तो डेरा फत्तुआला वासी परगट व अरडाना वासी अनिल को करीब 45800 गोलियों सहित काबू किया, जिनकी कीमत करीब 20 लाख रुपये आंकी गई। इसके बाद पुलिस ने सोनीपत तक छापेमारी की। बताना लाजमी है कि नशीली दवाओं के तार उत्तरप्रदेश के मुज्जफरनगर से जुड़े हैं।

पुलिस ने नेटवर्क खंगालते हुए सोनीपत के घसोली वासी पवन को काबू किया तो उसने भी रहस्योद्वाटन किया कि वह मुज्जफरनगर से ही इन दवाओं की खेप लेकर आता था। मुज्जफरनगर में भी चालाकी से आरोपित उसे शहर के बाहरी छोर पर ही डिलीवरी दे जाता था। तो वहीं पुलिस द्वारा पूछताछ में पता चला है कि एक आरोपित के पिता लंबे समय से दूसरे प्रदेशों में जगह बदल-बदल कर टेंट रूपी दवा बेचने की अस्थाई दुकानें लगाते रहे हैं। इसी की आड़ में नशीली व प्रतिबंधित दवाएं बेचने का भी काम शुरू कर दिया गया। यहीं नही मेडिकल स्टोर की आड़ में भी इस अवैध कारोबार को लगातार बढ़ावा दिया जाता रहा। दरअसल प्रतिबंधित नशीली दवाओं का सेवन नशे के आदि लोगों के साथ-साथ ग्रामीण स्तर पर होने वाले खेल आयोजनों में शामिल खिलाड़ी भी कर रहे हैं। मध्यप्रदेश से लेकर देश के अन्य हिस्सों से लाई जाने वाली इन नशीली दवाओं के प्रदेश में फैलते नेटवर्क को देख न केवल एंटी नारकोटिक्स सैल के होश उड़ गए हैं बल्कि इसे तोड़ना भी उसके लिए तगड़ी चुनौती बन गया है।

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