AIIMS ने दिए ये संकेत ! भारत में नहीं होगी कोरोना वैक्सीन की जरूरत ?

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के निदेशक डॉक्टर रंदीप गुलेरिया ने कहा है कि कोरानावायरस के बढ़ते प्रकोप के बाद हम एक ऐसी स्थिति में पहुंच जाएंगे, जब हर्ड इम्युनिटी आ जाएगी और तब वैक्सीन की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। तो वही बाजार और सड़कों पर भीड़ लगातार बढ़ रही है। लोग अब इस वायरस संक्रमण को सर्दी, खांसी जुकाम जैसी छोटी-मोटी बीमारी समझने लगें। लोगों की लापरवाही का उनके स्वास्थ्य पर बुरे असर के सवाल पर डॉक्टर रंदीप गुलेरिया ने कहा कि यहां दो पहलू हैं। एक तो यह है कि वैक्सीन जल्दी आ जाए। अगर आ गया तो यह सबसे पहले ज्यादा जोखिम वाले समूह के लोगों को लगाई जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर वायरस म्यूटेट नहीं होता है और इसमें कोई बदलाव नहीं आता है तो लोग वैक्सीन लगाने के बारे में सोच सकते हैं, लेकिन इसकी जरूरत नहीं है।

एक महत्वपूर्ण मुद्दा ये है कि वायरस में कैसे परिवर्तन आता है और लोगों को दुबारा संक्रमित कर सकता है या नहीं। अभी जांच ही कर रहे हैं कि आने वाले कुछ महीनों में वायरस कैसे व्यवहार करेगा और उसी के आधार पर कोई फैसला लिया जा सकता है कि कितनी जल्दी-जल्दी वैक्सीन लगाने की जरूरत पड़ेगी। अगर अच्छी हर्ड इम्युनिटी आ जाती है तो ये एक चुनौती होगी, क्योंकि वैक्सीन बनाने में काफी पैसा खर्च हुआ है और वैक्सीन निर्माता को ये चिंता सता रही है कि कहीं वैक्सीन की मांग न कम हो जाए। ऐसे लोगों को, जिनमें इंफेक्शन का चांस ज्यादा है, इससे हमें महामारी पर काबू पाने में जल्द मदद मिलेगी और संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी आएगी। लेकिन इस दौरान एक समय ऐसा आएगा, जब हम हर्ड इम्युनिटी पा लेंगे और लोग भी महसूस करेंगे कि उनमें इम्युनिटी आ गई है। ऐसी स्थिति में वैक्सीन की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर वायरस म्यूटेट नहीं करता है और उसमें कोई परिवर्तन नहीं आता है तो वैक्सीन की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि दुबारा संक्रमण का खतरा बना रहेगा।

इतने बड़े पैमाने पर कोरोनोवायरस दुनिया की पहली सबसे बड़ी महामारी है। पिछली महामारी इन्फ्लूएंजा वायरस के चलते हुई थी। कोरोनावायरस एक नया वायरस है जो श्वसन तंत्र को संक्रमित कर देता है। और उसके बाद कई प्रभाव होते हैं। यह वायरस रिसेप्टर्स से जुड़ जाता है जो शरीर में कई अंगों में मौजूद होते हैं। यह ब्लड वेसेल्स में सूजन पैदा कर देता है और यदि ये ब्लड वेसेल्स हृदय में हैं, तो इससे हृदय की मांसपेशियों को मायोकार्डियल क्षति हो सकती है। इससे थक्के बनने की संभावना अधिक होती है और स्ट्रोक भी लग सकता है। हालांकि कोविड से उबरने ने के बाद गंभीर समस्या होने की आशंका नहीं है, क्योंकि अधिकांश वायरल संक्रमण ठीक हो जाते हैं और लोगों में कुछ दिनों के लिए कुछ प्रभाव होता है, फिर वे ठीक हो जाते हैं। पिछले वायरल संक्रमण ज्यादातर इन्फ्लूएंजा जैसे अन्य वायरस के कारण होते थे। इस कोरोनावायरस फैमिली में लगभग सात अन्य वायरस हैं। उनमें से चार से बस फ्लू जैसे लक्षण होते हैं, जो बहुत हल्के होते हैं। बाकी बचे तीन में से एक सार्स वायरस है, जिसे कंट्रोल कर लिया गया था। एक मर्स वायरस है जो कि उतना संक्रामक नहीं है।

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