शुगर की दवा का 10 लाखे रुपये का घोटाला उजागर

ग्वालियर। अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल में दवाओं का एक के बाद एक घोटाला उजागर हो रहा है। इंट्राविनस इम्युनोग्लोबुलिन इंजेक्शन की गड़बड़ी के बाद अब शुगर की 10 लाख रुपये कीमत की 30 हजार टैबलेट की गड़बड़ी उजागर हुई है। दरअसल माधव डिस्पेंसरी के दवा वितरण केंद्र पर 10 हजार टैबलेट भेजना बताया गया। वितरण केंद्र से 10 हजार टैबलेट का वितरण भी हुआ, लेकिन यह टैबलेट किन मरीजों को और किन डाक्टर के लिखने पर मरीजों को वितरित की गईं, इसका लेखा जोखा उपलब्ध नहीं है। तो वहीं ग्वालियर संभाग के आयुक्त – आशीष सक्सेना ने कहा कि आपके द्वारा मामला मेरे संज्ञान में आया है। टैबलेट के वितरण संबंधी कहां पर गड़बड़ी हुई इसकी जांच कराई जाएगी, जांच में जो भी सामने आएगा उसके तहत आगे की कार्रवाई होगी। खास बात यह है कि शुगर की टैबलेट का उपयोग मेडिसिन विभाग में होना था जहां पर महज 150 टैबलेट का ही उपयोग हुआ।

बाकी की टैबलेट उन स्थानों पर वितरित करना बता दिया जहां पर उनकी आवश्यकता ही नहीं थी। सेंट्रल स्टोर द्वारा खरीदी गई शुगर की टैबलेट को कहां पर वितरित किया इसका कोई लेखाजोखा नहीं है, जबकि स्टोर में 30 हजार टैबलेट में से एक भी पैकेट उपलब्ध नहीं हैं।तो वहीं जीआर मेडिकल कॉलेज के प्रभारी डीन-डा. आरकेएस धाकड़ के मुताबिक शुगर की दवा वितरण में भी गड़बड़ी उजागर हुई है। इसकी जांच के लिए तीन सदस्य दल गठित किया गया है, जो बारीकी से जांच कर रहा है। जो भी गड़बड़ी होगी वह सामने आएगी और दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी होगी। गौरतलब है कि बड़ी मात्रा में दवा घोटाला उजागर होने की भनक लगते ही अस्पताल प्रबंधन ने इसकी जांच बैठा दी है। अब तीन सदस्य दल पूरे मामले की जांच में जुट गया है जल्द ही दवा घोटाले का पर्दाफाश होगा। यहां बता दें कि सीटाग्लप्टिन टैबलेट टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों को दी जाती है। तो वहीं चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त -निशांत बरबड़े के अनुसार टैबलेट की गड़बड़ी हुई है तो मामला गंभीर है। जांच हो रही है तो सबकुछ सामने आ जाएगा और जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ एक्शन भी होगा।

Advertisement