हरियाणा फार्मेसी काउंसिल के पूर्व रजिस्ट्रार को हाईकोर्ट से झटका

चंडीगढ़। हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल के पूर्व रजिस्ट्रार अरूण पराशर को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हरियाणा पंजाब उच्च न्यायालय ने अरुण पाराशर की ओर से दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। वही हाईकोर्ट के फैसले के बाद हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल के पूर्व चेयरमेन केसी गोयल ने भी सरकार की पारदर्शिता पर सवाल उठाए है और अरूण पराशर के कार्यकाल की जांच करने की मांग रखी है।

वीरवार को प्रेस वार्ता के दौरान पूर्व चेयरमेन केसी गोयल ने बताया कि अरुण पराशर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के खास व अम्बाला कैंट के भाजपा मंडल अध्यक्ष अजय पराशर का भाई है। अरूण पराशर को सरकार ने फार्मेसी एक्ट की अवहेलना कर बिना किसी आवेदन व बिना किसी इंटरव्यू और बारहवीं की फर्जी डीएमसी से हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल का रजिस्ट्रार नियुक्त कर दिया था। जिसको लेकर बतौर चेयरमेन विरोध जताया गया तो सरकार ने अपनी पावर दिखाते हुए मुझे सस्पेंड कर दिया।

केसी गोयल ने बताया कि पारदर्शिता का ढोंग पीटने वाले प्रदेश के सीएम मनोहर लाल व स्वास्थय मंत्री अनिल विज ने फार्मेसी में दाखिला एवं रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी 10+2 दिल्ली के फ र्जी बोर्ड व फार्मेसी में कर्नाटक से डिप्लोमा लाने वाले अरुण को अवैध रूप से रजिस्ट्रार नियुक्त कर दिया। गोयल ने बताया कि अरुण परासर की नियुक्ति को रद्द कराने के लिए मान्य पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल सीडब्ल्यूपी 22656/18 दाखिल की। जिस पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार की नियुक्ति को गलत मानते हुए  25-07-19 को  रद्द कर दिया था।

उसके बाद अरूण पराशर द्वारा दाखिल याचिका को डबल बैंच में चुनौती थी। जिसमें 15-12-2020 को माननीय उच्च न्यायालय के डबल बैंच ने भी अरुण परासर की नियुक्ति को गलत बताया है। केसी गोयल ने कहा है कि अरुण परासर ने रजिस्ट्रार रहते हुए सरकार व फार्मेसी कौंसिल में लाखों रूपए का गबन किया है और कई फर्जी रजिस्ट्रेशन कि ए है। उन्होंने मांग की है कि अरूण पराशर के कार्यकाल की जांच करवाई जाए।

गोयल ने यह भी बताया कि 25-07-19 को माननीय उच्च न्यायालय ने अरुण पराशर के साथ-साथ काउंसिल में कार्यरत सभी स्टाफ  को पद मुक्त कर दिया था लेकिन सरकार ना तो हाईकोर्ट के आदेश को मानती है और ना ही फार्मेसी एक्ट को मानती है क्योंकि हाईकोर्ट के आदेश के बाद आज भी काउंसिल में कार्यकर्ता बिना किसी अप्रूवल के कार्य कर रहे है।

उन्होने बताया कि सरकार ने अपनी हठधर्मिता अपनाते हुए हाईकोर्ट से निलंबन के बाद भी अरुण पराशर को हरियाणा राज्य फार्मेसी कौंसिल का सदस्य मनोनीत किया है। उन्होने तुरंत सदस्य पद से हटाने की मांग की है और अरुण पराशर को नसीहत दी है कि जिस विश्वास से अनिल विज ने मैम्बर नॉमिनेट किया है उसी तरह पारदर्शिता का प्रमाण देते हुए पद से तुरंत इस्तीफ़ा दे।

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