जिला अस्पताल में बेड टू बेड ऑक्सीजन सप्लाई में घपला, नहीं हुई जांच

गोरखपुर। सिद्धार्थनगर के जिला अस्पताल में बेड टू बेड आक्सीजन सप्लाई के लिए बिछाई गई पाइपलाइन में घपलेबाजी की जांच चार वर्ष में भी पूरी नहीं हो सकी है। बिछाई गई पाइपलाइन से अभी तक किसी को जीवन भी नहीं दिया जा सका है। इमरजेंसी से लेकर सामान्य वार्ड तक पाइपलाइन बिछाई गई है, लेकिन अभी तक उसमें आक्सीजन की सप्लाई शुरू नहीं हो सकी है। जब तक पाइप से सप्लाई शुरू की जाती, तब तक मामले में घपलेबाजी का मामला सामने आने के बाद मामले की जांच शुरू हो गई है।

दो करोड़ 90 लाख 27 हजार की लागत से हुए इस काम पर शुरू से ही सवाल उठता रहा है। तो वहीं दूसरी तरफ सीएमओ डा. आइवी विश्वकर्मा ने बताया कि मामले की जानकारी नहीं है। पता कराते हैं कि जांच की फाइल कहां है। यदि जांच में कोई दोषी मिला तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी। दरअसल जिला चिकित्सालय में आक्सीजन गैस पाइप लाइन एवं आठ अन्य बड़े कार्यों में किये गए करोड़ों के अनियमितता को लेकर शिकायत की गई। कार्रवाई तो दूर जांच भी पूरी नहीं हो सकी है। जबकि यह तथ्‍य सामने आ चुका है कि अधूरे काम के बाद भी पूरा भुगतान कर दिया गया है।

चार वर्ष पहले मामले की शिकायत आरटीआइ कार्यकर्ता देवेश मणि त्रिपाठी ने चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के महानिदेशक से की तो तत्कालीन जिलाधिकारी सूर्यपाल गहरवार के निर्देश पर तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी अखिलेश तिवारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी एवं सीएमएस को जांच अधिकारी नामित किया। चार वर्ष में डीएम, सीडीओ व सीएमओ बदलते रहे, लेकिन जांच को लेकर किसी ने भी गंभीरता नहीं दिखाई। परिणाम यह है कि जांच अभी तक किसी भी अंजाम पर नहीं पहुंच सकी है।

जिनके उपर घपले में शामिल होने का अंदेशा है, वहीं मामले की जांच कर रहे हैं। बेड टू बेड ऑक्सीजन पाइप लाइन, बिना निविदा के अनियमित रंगाई पुताई, विद्युत रिवायरिंग व मरम्‍मत के नाम पर लाखों के अनियमित भुगतान, फैक्फेड द्वारा कराए गए करोड़ाें रुपये के अनियमित भुगतान, अतुल ड्रग एजेंसी, पांडेय ट्रेडर्स, सन्नी ट्रेडर्स, बस्ती कंस्ट्रक्शन वर्टेक्स ट्रेडर्स आदि को अनियमित भुगतान किए जाने को लेकर शिकायत की गई है, जो तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के विरुद्ध है। सीएमएस पर भी संदेह है। जांच की जिम्मेदारी सीएमएस को ही दे दी गई है। यह अपने आप में सबसे बड़ा सवाल है।

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