एसजीपीजीआई दवा घोटाले में कानून का कसा शिकंजा,18 संविदा कर्मियों की सेवा हुई समाप्त

लखनऊ। एसजीपीजीआई में हुए दवा घोटाले में 18 संविदाकर्मियों की सेवा समाप्त कर दी गई है। इसमें आठ के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है। कर्मचारियों को तैनात करने वाली कंपनी को भी नोटिस जारी कर दिया गया है। दरअसल निदेशक एसजीपीजीआई, प्रो. आरके धीमान ने बताया कि जांच कमेटी की संस्तुति पर 18 को संस्थान से निकाल दिया गया है। यदि नियमित कर्मियों के नाम भी जांच में सामने आते हैं तो कार्रवाई की जाएगी। दोषियों को सजा देने के साथ ही इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति रोकने की रणनीति भी बनाई जा रही है।

सूत्र बताते हैं कि दवा घोटाले में संविदाकर्मियों के साथ ही कई नियमित कर्मचारी भी शामिल हैं। इसमें निगरानी की जिम्मेदारी नियमित कर्मचारियों एवं अधिकारियों की ही है। ऐसे में उनकी भी भूमिका भी जांच होनी चाहिए। सूत्रों का यह भी कहना है कि पकड़े गए संविदाकर्मियों ने कई नियमित कर्मियों के नाम का भी खुलासा किया है। इसके बावजूद कमेटी उन पर मेहरबान है। कहा तो यह भी जा रहा है कि खाते से निकाले गए रुपये जमा कराकर नियमित कर्मचारियों को बरी करने की रणनीति अपनाई जा रही है।

दरअसल एसजीपीजीआई प्रशासन की ओर से दी गई तहरीर के आधार पर पुलिस ने आठ लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है। लेकिन अभी तक कार्रवाई नहीं की जा सकी है। जांच कर रहे एसजीपीजीआई चौकी प्रभारी नरेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि पत्रावलियों को देख रहे हैं। जल्द ही जांच शुरू की जाएगी। एसजीपीजीआई में पोस्ट डिपॉजिट एकाउंट वाले मरीजों के खाते से करीब 55 लाख की दवा निकाल ली गई। ये दवाएं चिकित्सक के जाली हस्ताक्षर और मुहर से निकाली गईं। इसका भंडाफोड़ तब हुआ, जब मरीज खुद दवा लेने पहुंचे।

मामले की जांच के लिए एसजीपीजीआई प्रशासन ने कमेटी गठित कर दी। एफआईआर की जद में आए आठ कर्मचारियों के अलावा अन्य 10 की भूमिका भी संदिग्ध मिली है। जांच कमेटी की संस्तुति पर निदेशक प्रो. आरके धीमान ने 18 संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। इनके संस्थान में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। कार्यरत कंपनी को भी नोटिस भेजा गया है।

 

 

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