एंटी करप्शन की टीम ने औषधि विभाग के लिपिक घूस लेते पकड़ा

गोरखपुर। ड्रग लाइसेंस बनवाने के लिए 40 हजार रुपये घूस लेे रहे, औषधि विभाग के लिपिक विकासदीप को एंटी करप्शन की टीम ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपित को कलेक्ट्रेट परिसर स्थित विभाग के कार्यालय में पकड़ा गया। टीम ने लिपिक के खिलाफ केस दर्ज कराकर कोतवाली पुलिस के सुपुर्द कर दिया। ड्रग इंस्पेक्टर- जय सिंह ने बताया कि ऑनलाइन व्यवस्था में किसी को लाइसेंस के लिए कार्यालय आने की जरूरत नहीं पड़ती। लाइसेंस जारी होने पर संबंधित आवेदक के मोबाइल नंबर पर मैसेज और ई-मेल पर लाइसेंस पहुंच जाता है।

जिस व्यक्ति ने रुपये मांगने के आरोप लगाए हैं, उसका लाइसेंस 15 फरवरी को ही जारी हो चुका है। लाइसेंस जारी होने के बाद संबंधित व्यक्ति रुपये देने क्यों आया, इसकी जानकारी नहीं है। लाइसेंस नियमानुसार ही जारी होते हैं। जानकारी के मुताबिक, शाहपुर इलाके के जंगल तुलसीराम बिछिया निवासी अनुपम गौड़ ने दवा की दुकान के ड्रग लाइसेंस के लिए बीते 10 फरवरी को ऑनलाइन आवेदन किया था। बाद में जब उन्होंने विभाग में संपर्क किया तो वहां तैनात लिपिक विकासदीप ने 40 हजार रुपये की रिश्वत मांगी।

जब रिश्वत मांगने की बात अनुपम ने पिता आनंद गौड़ को बताई तो उन्होंने एंटी करप्शन विभाग में इसकी शिकायत कर दी। इसके बाद एंटी करप्शन विभाग ने घूसखोर लिपिक को रंगेहाथ पकड़ने के लिए जाल बिछाया। बुधवार को एंटी करप्शन टीम प्रभारी रामधारी मिश्र इंस्पेक्टर एके सिंह, चंद्रेश यादव, शैलेंद्र राय, चंद्रभान मिश्रा और शैलेंद्र सिंह के साथ कलेक्ट्रेट स्थित औषधि विभाग के कार्यालय पहुंचे।

टीम ने अनुपम को केमिकल लगे नोट लिपिक को देने के लिए कहा। अनुपम ने जैसे ही लिपिक विकासदीप को 40 हजार रुपये दिए, एंटी करप्शन ने उसे रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। प्रभारी निरीक्षक थाना कोतवाली जयदीप वर्मा ने बताया कि एंटी करप्शन टीम ने आरोपित को कोतवाली थाने में दाखिल किया है। उसके खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।

 

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