डॉक्टर मरीजों से फीस वसूलने के साथ ही हाथ में पकड़ा रहे ‘कमीशन’ का पर्चा

रीवा। मेडिकल कालेज में डॉक्टर ओपीडी से लेकर निजी प्रैक्टिस के दौरान कमीशन के लिए निजी मेडिकल स्टोर का पर्चा भी मरीजों के हाथ में पकड़ा रहे हैं। इतना ही नहीं मेडिकल कालेज से लेकर सुपर स्पेशलिटी के कई चिकित्सक कई एनपीए (नॉन प्रैक्टिस अलाउंस) भी ले रहे हैं। इसके बावजूद निजी प्रैक्टिस के साथ ही दवाओं के कमीशन के नाम पर चहेते मेडिकल स्टोर संचालक की दुकान से दवा खरीदने के लिए भेज रहे हैं। सीएमएचओ – डॉ एमएल गुप्ता ने बताया कि चिकित्सक यदि ऐसा कर रहे हैं तो गलत है। मामले की नियमानुसार जांच कराई जाएगी। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव भेजा जाएगा।

बता दें कि मेडिकल कालेज के डीन डॉ मनोज इंदुलकर के मुताबिक सूचना मिली है कि कुछ चिकित्सक पर्चा के साथ मेडिकल स्टोर संचालकों का पर्चा भी साथ में भेज रहे हैं। इसकी जांच कराई जाएगी। रिपोर्ट आने के बाद जिम्मेदार चिकित्सकों की जवाबदेही तय की जाएगी। संजय गांधी अस्पताल में ह्दयरोग विभाग के डॉक्टर ओपीडी से लेकर डॉक्टर कालोनी में निजी प्रैक्टिस के दौरान मरीजों से फीस वसूल रहे हैं। एसजीएमएच के सीनियर कॉर्डियोलास्टि पर्चा पर मरीज को दवाएं लिखी 500 रुपए फीस लिया और पर्चा के साथ मेडिकल स्टोर संचालक का भी पर्चा देकर कहा कि इसी मेडिकल स्टोर से दवा लेनी है। दवा समझ में न आए तो लाकर दिखा दीजिएगा। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में कई महिला डॉक्टरों के नाम का पर्चा और एसजीएम में ओपीडी का पर्चा लेकर मरीज निजी मेडिकल स्टोर संचालकों के यहां भटक रहे हैं।

मरीज डॉक्टरों के पर्चा के साथ ही मेडिकल स्टोर संचालक का पर्चा लेकर घूम रहे हैं। इधर, दंत चिकित्सा विभाग की महिला चिकित्सकों के पर्चा के साथ मेडिकल स्टोर संचालकों का पर्चा मरीज लेकेर घूम रहे हैं। कमोवेश यही हाल गायनी, नाक, कॉन गला, नेत्र विभाग समेत हड्डी रोग, चर्मरोग विभाग के चिकित्सक ओपीडी से लेकर निजी प्रैक्टिस के दौरान मरीजों के हाथ में मेडिकल स्टोर संचालकों का पर्चा पकड़ा रहे हैं। जिला अस्पताल सहित ग्रामीण क्षेत्र में सीएचसी-पीएचसी पर भी ज्यादातर चिकित्सक कोरोना काल के बहाने निजी प्रैक्टिस में जुटे हुए हैं। इसका खुलासा दो दिन पहले सीएमएचओ मऊगंज की ओर अचौक निरीक्षण में अस्पताल पहुंचे थे। वहां पर डॉक्टर गायब मिले। सीएमएचओ ने गोपनीय जांच कराई तो पता चला कि बीएमओ की साठगांठ से वह निजी प्रैक्टिस में व्यस्त हैं। रिपोर्ट से साफ है कि ज्यादातर सीएचसी-पीएचसी के चिकित्सक सरकारी संशासन के उपयोग पर निजी कमाई में जुटे हैं।

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