दवा विक्रेताओं को होगा फूड लाइसेंस, विभाग भेज रहा दुकानदारों को नोटिस

देहरादून। उत्तराखंड में अब दवा बेचने वालों और केमिस्ट संचालकों को भी अनिवार्य रूप से फूड लाइसेंस बनाना होगा। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ नए नियमों के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। जिला खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से इस संबंध में नोटिस जारी किए जा रहे हैं। दून केमिस्ट होलसेल एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष नंदा और दून रिटेल केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष नवनीत मल्होत्रा ने बताया कि नए आदेशों के तहत फूड लाइसेंस बनाए जा रहे हैं।

इस बारे में सभी दवा विक्रेताओं को अवगत भी कराया जा रहा है। हालांकि, इस प्रक्रिया में दवा विक्रेताओं को ड्रग लाइसेंस के साथ-साथ फूड लाइसेंस बनाने के लिए भी विभागों के चक्कर लगाने पड़ेंगे। क्योंकि हर दवा विक्रेता ऑनलाइन लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया नहीं जानते हैं। इस संबंध में जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी गणेश कंडवाल ने बताया कि दवा विक्रेताओं को इस बारे में नोटिस भेजे जा रहे हैं। दरअसल विभाग का कहना है कि दवा की दुकानों पर बिकने वाले सेरेलेक, ग्लूकोज, दूध पाउडर, विभिन्न न्यूट्रीशियन और हेल्थ सप्लीमेंट फूड की श्रेणी में आते हैं।

इस स्थिति में इन्हें सार्वजनिक तौर पर बेचे जाने के लिए फूड लाइसेंस का होना आवश्यक है। दवा विक्रेता भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की वेबसाइट पर ऑनलाइन लाइसेंस बनवा सकते हैं। बता दें कि नए नियमों के तहत धार्मिक आयोजन, लंगर के अलावा शादी-ब्याह जैसे समारोह में भोजन और मिठाई आदि बनाने के लिए भी हलवाई को फूड लाइसेंस बनाना होगा।

इसके लिए उन्हें आवेदन करने पर एक दिन का फूड लाइसेंस जारी किया जाता है। जबकि नियमित तौर पर हलवाई का कार्य करने वाले दुकानदारों को स्थायी फूड लाइसेंस बनवाना होता है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने भोजन व मिष्ठान की गुणवता और कई बार इससे होने वाली फूड प्वाइजनिंग की घटनाओं को देखते हुए यह निर्णय लिया है।

 

 

 

 

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