ब्लड और बोन कैंसर की निशुल्क दवाएं मिलना हुईं बंद; मरीजों को हर महीने खर्च करने पड़ रहे हजारों रुपए

जयपुर। निशुल्क दवा योजना में दवाओं की कमी और आरएमएससीएल की ‘जिद’ कैंसर मरीजों के लिए मौत का कारण बन रही है। भामाशाह योजना में कैंसर की महंगी दवाएं थीं, पर आयुष्मान बीमा योजना में इन दवाओं को फिलहाल देना बंद कर दिया गया है। हालांकि सरकार की मंशा है कि कैंसर की महंगी दवाएं मुफ्त मिलें लेकिन आरएमएससीएल ने 7 महीने बाद भी इनका टेंडर नहीं खोला है।

कैंसर के मरीजों को एसएमएस अस्पताल जयपुर, अजमेर, उदयपुर, बीकानेर, जोधपुर और कोटा तक में दवाएं नहीं मिल रही हैं। तत्कालीन एसीएस रोहित सिंह ने इन दवाओं को ईडीएल में शामिल करने को कहा था। 4 सितम्बर 2020 को आरएमएससीएल ने टेंडर कर भी किए पर मामला अभी तक लटका हुआ है। निलोटिबिन की एक टेबलेट 1300 रुपए की है। एक मरीज को हर महीने 60 टेबलेट चाहिए। यानी हर माह 78000 रुपए खर्च होंगे।

कानाराम, संयुक्त सीईओ, आरएसएचएए ने बताया कि केंद्र के अनुसार दवाओं को हटाना और जोड़ा है। पहले दवा के अनुसार पैकेज था लेकिन अब बीमारियों के अनुसार पैकेज निर्धारित किया गया है। कैंसर जैसी बीमारी की उसी साल्ट की दूसरी दवा उपलब्ध है।

 

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