टाइप 2 डायबिटीज के इलाज को मार्केट में आएगी नई दवा, मैनकाइंड फार्मा ने CDSCO से मांगी मंजूरी

नई दिल्ली। मैनकाइंड फार्मा कंपनी के लिए भारतीय औषधि नियामक प्राधिकरण, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की मंजूरी पाने के लिए अपना पहला इन्वेस्टीगेशनल न्यू ड्रग आवेदन प्रस्तुत किया। एमकेपी10241 अपने वर्ग में प्रथम पेटेंटयुक्त नॉवेल एंटी डायबिटिक मॉलीक्यूल है। मैनकाइंड फार्मा IQVIA के अनुसार भारत की चौथी सबसे बड़ी फार्मास्‍युटिकल कंपनी है। कंपनी ने एंटी-डायबिटिक मॉलीक्‍यूल्‍स के इस नए वर्ग को विकसित करने के लिए लगातार मेहनत की है।

इसको मैनकाइंड रिसर्च सेंटर में डिजाइन और विकसित किया गया हैं। एमकेपी10241 एक शक्तिशाली और मौखिक रूप से प्रशासित छोटा अणु, जीपीआर119 एगोनिस्ट है। जीपीआर 119 अग्नाशयी बीटा कोशिकाओं और आंतों की कोशिकाओं में ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं। सीडीएससीओ की मंजूरी के बाद अपने वर्ग में प्रथम यह औषधि लॉन्च की जाएगी। कंपनी को पूरी उम्मीद है कि यह मधुमेह से पीड़ित मरीजों को काफी राहत देगी और रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने में अत्यधिक प्रभावी साबित होगी।

जो चीज एमकेपी10241 को खास बनाती है, वह है इसके कार्य करने की प्रणाली. जीपीआर119 कोशिकाओं के भीतर सीएएमपी जैसे अंतर्कोशिकीय द्वितीयक संदेशवाहकों की गति बढ़ाता है और ग्लूकोज पर निर्भरता बनाए रखते हुए भोजन के बाद पैदा होने वाले (पोस्‍टप्रैंडियल) इंसुलिन और इन्क्रेटिन स्राव (जीएलपी-1) को भी बढ़ावा देता है। ग्लूकोज पर निर्भर इंसुलिन स्राव का संतुलन बनाए रखने में जीपीआर119 द्वारा किए जा रहे दोहरे कार्यों की यह व्यवस्था, टाइप 2 मधुमेह के लिए वर्तमान में उपलब्ध चिकित्सीय विकल्पों से अलग हैं। इस प्रकार यह टाइप 2 मधुमेह और संबंधित मेटाबॉलिज्‍म विकारों के उपचार के लिए उम्मीदों से भरा एक नया दृष्टिकोण बन जाता है।

जीपीआर119 एगोनिस्ट गुणों वाले ये छोटे अणु, भारतीय फार्मा उद्योग को टाइप 2 मधुमेह के इलाज के लिए एंटीडायबिटिक वर्ग में नए चिकित्सीय विकल्प प्रदान करने में मदद करेंगे। नई औषधि की कार्य करने की शैली और इसकी प्रभावकारिता को समझने के लिए टाइप 2 डायबिटीज के कई प्रीक्लिनिकल मॉडल में इसका परीक्षण किया गया था। इसने रक्त शर्करा के स्तर और ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन को कम करने में प्रभावी परिणाम दिखाए हैं। एमकेपी10241, प्लाज्मा इंसुलिन के साथ-साथ प्लाज्मा जीएलपी-1 के स्तर को बढ़ाता है और आखिरकार जीपीआर119 के साथ जुड़ी दोहरी कार्रवाई करते हुए प्रीक्लिनिकल मॉडल में प्लाज्मा ग्लूकोज को कम करता है। एमकेपी 10241 को 2037 तक दुनिया भर में पहले ही पेटेंट दिया जा चुका है।

इस ऐतिहासिक अवसर पर मैनकाइंड फार्मा के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन आर. सी. जुनेजा ने कहा कि ‘वैज्ञानिकों की हमारी टीम ने अथक परिश्रम किया है और पूरे जुनून के साथ लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए इस दवा का विकास किया है। यह मरीजों के लिए सस्ती होगी। मैनकाइंड फार्मा रोगियों, डॉक्टरों और पूरे स्वास्थ्य सेवा तंत्र के फायदे के लिए सभी प्रमुख चिकित्सीय क्षेत्रों में भारतीय बाजार में अपने उत्पादों के पोर्टफोलियो के विस्तार के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी का मानना है कि अगर हम सही समय पर सही मार्ग से सही रोगी को सही औषधि पहुंचा सकें, तो यह आखिरकार स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को प्रभावी रूप से मजबूत और बेहतर बनाएगा। गौरतलब है कि कंपनी ने फार्मास्‍युटिकल, वेटरनरी, ओटीसी और एफएमसीजी वर्गों में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है।

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