जांच पूरी होने तक ट्यूलिप फार्मा उद्योग में दवा उत्पादन पर रोक

इंदौर। इंदौर में सामने आए रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी व नकली इंजेक्शन के मामले के तार कांगड़ा के दवा उद्योग से जुड़ने के बाद राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण हरकत में आ गया है। इसी कड़ी में राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सूरजपुर (कांगड़ा)स्थित ट्यूलिप फार्मा उद्योग में दवा उत्पादन पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है, यह प्रतिबंध जांच पूरी होने तक जारी रहेगा। इसके अलावा दवा उद्योग में बनाई जा रही चार दवाओं के सैंपल भी अधिकारियों ने भरे हैं।। हालांकि अधिकारियों को उद्योग परिसर के भीतर रेमडेसिविर इंजेक्शन से सबंधित कुछ भी सामग्री नहीं मिली है।

मसलन न तो कोई रेमडेसिविर इंजेक्शन मिला, न ही सबंधित एपीआई और न ही कोई रैपर, लेकिन इसके बाबजूद अधिकारियों ने गहनता से जांच शुरू कर दी है और इसी के तहत उद्योग प्रबंधन को रिकॉर्ड सहित तलब किया है। बता दें कि इस उद्योग में वर्ष 2013 में भी नशे के लिए दुरुपयोग होने वाली दवाओं के कथित निर्माण की आशंका के चलते दवा निरीक्षकों की टीम ने छापामारी की थी। हालांकि उस दौरान भी ऐसा कुछ नहीं मिला, लेकिन मामला खूब चर्चा में रहा था। फिलवक्त राज्य दवा नियंत्रक स्वयं इस मामले की निगरानी कर रहे हैं। आरोपी डा. विनय त्रिपाठी के पास से 16 बॉक्स में 400 नकली वॉयल भी मिले हैं। जांच में पता चला है कि वह करीबन एक साल से ट्यूलिप फॉर्मुलेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चला रहा था। हालांकि ड्रग विभाग के रिकॉर्ड में दवा निर्माण लाइसेंस में इस डाक्टर का कहीं जिक्र नहीं है।

चार दवाओं के सैंपल कब्जे में

एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला आशीष रैना ने बताया कि उन्होंने टयूलिप दवा उद्योग में ड्रग इंस्पेकटर नुरपुर प्यार चंद व पुलिस के साथ मिलकर पड़ताल की है , लेकिन अभी तक की जांच में रेमडेसिविर इंजेक्शन से सबंधित कोई भी सामग्री नही मिल पाई है। हालांकि एहतियात के तौर पर उद्योग में निर्मित दवाओं के चार सैंपल कब्जे में लेकर जांच के लिए लैब में भेज दिए हैं।

अभी तक नहीं मिला कोई सुराग

राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह ने बताया कि टयूलिप दवा उद्योग में उत्पादन पर जांच पूरी होने तक रोक लगा दी गई है। एडीसी धर्मशाला की अगवाई में जांच चल रही है, फिलहाल रेमडेसिविर इंजेक्शन से सबंधित कुछ नहीं मिला है, लेकिन वह निरंतर मध्य प्रदेश के ड्रग डिपार्टमेंट के संपर्क में हैं। वर्तमान में बीबीएन व पावंटा के चार उद्योग ही इस इंजेक्शन का उत्पादन कर रहे हैं।

इंजेक्शन प्रोडक्शन की मांगी थी परमिशन
बताया जा रहा है कि डा. विनय त्रिपाठी ने दिसंबर 2020 को कंपनी के मैनेजर पिंटू कुमार के माध्यम से जिला कांगड़ा के एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला के समक्ष इंजेक्शन के उत्पादन के लिए अनुमति मांगी थी, लेकिन कंपनी को रेमडेसिविर इंजेक्शन उत्पादन की अनुमति नहीं गई, जिसके बाद से ट्यूलिप उद्योग में पैंटाप्रोजोल व एक अन्य टेबलेट्स का ही उत्पादन हो रहा था। कंपनी के मैनेजर पिंटू कुमार ने बताया कि पिछले साल लॉकडाउन लगने के बाद से कंपनी बंद थी और अगस्त, 2020 को इंदौर के रहने वाले डा. विनय त्रिपाठी ने ही कंपनी में फिर से उत्पादन शुरू करवाया था। दिसंबर, 2020 को डा. विनय त्रिपाठी के कहने पर मैनेजर एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला आशीष रैना को रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, लेकिन परमिशन नहीं मिली थी।

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